सादर अभिवादन..
नए साल को परिभाषित कर
हम हरदम कुछ नयापन
ढूंढ ही लेते हैं
जैसे एक नाम दिया है
इक्कीसवां सदी का
इक्कीसवाँ साल
ये नयापन याद में
तबतक ही रहेगा
जबतक उसे
नए की तरह निभाया जाएगा...
चलिए चलते है वर्ष के अंतिम अंक की ओर
दुहाई ....वर्ज्य नारी स्वर
तुम्हारा दावा
कब हवा हो जाती है
कब तुम
बन जाते हो चक्रवात
प्यार का चिंदी-चिंदी उड़ाकर
तुम कर ही नहीं सकते- प्यार
तुम्हारी न शांत होने वाली भूख
तुम्हे क्या-क्या बना देती है ...
नयी उम्मीदें ...ग़ज़ल यात्रा
नए साल को परिभाषित कर
हम हरदम कुछ नयापन
ढूंढ ही लेते हैं
जैसे एक नाम दिया है
इक्कीसवां सदी का
इक्कीसवाँ साल
ये नयापन याद में
तबतक ही रहेगा
जबतक उसे
नए की तरह निभाया जाएगा...
चलिए चलते है वर्ष के अंतिम अंक की ओर
दुहाई ....वर्ज्य नारी स्वर
तुम्हारा दावा
कब हवा हो जाती है
कब तुम
बन जाते हो चक्रवात
प्यार का चिंदी-चिंदी उड़ाकर
तुम कर ही नहीं सकते- प्यार
तुम्हारी न शांत होने वाली भूख
तुम्हे क्या-क्या बना देती है ...
नयी उम्मीदें ...ग़ज़ल यात्रा
पूरी होंगी चर्चाएं जो बाकी हैं
नये साल में नयी उमीदें जागी हैं
आने वाले दिन शायद कुछ बेहतर हों
पिछली यादें बड़ी रुलाने वाली हैं
भरे हुए जो घर बाहर से लगते हैं
भीतर से वे बिलकुल खाली-खाली हैं
साल परिवर्तन ....कविताएँ
नये साल में नयी उमीदें जागी हैं
आने वाले दिन शायद कुछ बेहतर हों
पिछली यादें बड़ी रुलाने वाली हैं
भरे हुए जो घर बाहर से लगते हैं
भीतर से वे बिलकुल खाली-खाली हैं
साल परिवर्तन ....कविताएँ
नया साल आया भी नहीं
कि तुम जश्न मनाने लगे,
लगता है, तुम्हें यक़ीन है
कि यह साल भी तकलीफ़ देगा
बीते साल की तरह.
असीम शुभकामनाएँ ..सोच का सृजन
कि तुम जश्न मनाने लगे,
लगता है, तुम्हें यक़ीन है
कि यह साल भी तकलीफ़ देगा
बीते साल की तरह.
असीम शुभकामनाएँ ..सोच का सृजन
सारे फ़साद की सोर उम्मीद है।
नमी में आग का कोर उम्मीद है।
सोणी के घड़े सा हैं सहारे सारे,
ग़म की शाम में भोर उम्मीद है।
सोचो क्या करना है ? ...आकांक्षा
नमी में आग का कोर उम्मीद है।
सोणी के घड़े सा हैं सहारे सारे,
ग़म की शाम में भोर उम्मीद है।
सोचो क्या करना है ? ...आकांक्षा
मन मेरे सोचो क्या करना है ?
आने वाले कल के लिए
कोई उत्साह नहीं है अब
जीवन की शाम का
इंतज़ार कर रहे हैं |
31 दिसम्बर...बजा रहा है सीटी
आने वाले कल के लिए
कोई उत्साह नहीं है अब
जीवन की शाम का
इंतज़ार कर रहे हैं |
31 दिसम्बर...बजा रहा है सीटी
आते आते
सामने से
साफ साफ
दिख रहा है अब सीटी
बजाता
जाता हुआ एक साल
पिछले सालों
की तरह
हौले हौले
से जैसे
मुस्कुरा कर
अपने ही
होंठों के
अन्दर अन्दर
कहीं अपने
ही हाथ
का अँगूठा
दिखा गया
एक साल
....
अंततः आने वाले
अंततः आने वाले
नववर्ष की शुभकामनाएँ
सादर
Thanks for my post today
ReplyDeleteबढ़िया वर्षांत प्रस्तुति
ReplyDeleteसादर..
आने वाला समय सभी के लिए शुभ हो
ReplyDeleteआभार।
ReplyDeleteहर पल मंगलकारी रहे
ReplyDeleteलिंक्स चयन होता रहे
बढ़िया प्रस्तुति.आभार
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteसुप्रभात
ReplyDeleteमेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |