सादर वन्दे
कल श्वेता दीदी की प्रस्तुति देखी
बेहद आनन्द आया
काफी दिनों के बाद उनकी
कविता की पंक्तियां पढ़ी
दीदी कि कुछ पंक्तिया लिख रही हूँ यहाँ
...
दीदी कि कुछ पंक्तिया लिख रही हूँ यहाँ
...
चुनावी बाज़ार में
सपनों के सौदागर
वायदों की चाशनी में लिपटे
मीठे सपने बेच रहे हैं
कुछ जागते लोग
उनींदें अधखुली आँखों को
जबरन खोले रतजगा कर
चाशनी की कड़ुवाहट
जाँच रहे हैं
......
अब रचनाएँ..
बिस्फोट ...शिखा वार्ष्णेय
......
अब रचनाएँ..
बिस्फोट ...शिखा वार्ष्णेय
विस्फोट की सामग्री
2 कप मैदा
1/2 कप दही / दूध
1 छोटा चम्मच बेकिंग पाउडर
1 छोटा चम्मच बेकिंग सोडा
1/2 छोटा चम्मच नमक
2 खाने वाले चम्मच चीनी
2 खाने वाले चम्मच तेल / मक्खन
नई उमर की नई फसलों ,
जो बोओगे वही काटना होगा
उठो वीर जवानों क्रांति मशाल
अब तुम्हे जलाना होगा।
जीवन की कहानियां,
सभी एक दूसरे से
मिलती जुलती सी रहीं,
सिर्फ़ बदलते गए
हर एक मोड़ पर किरदार,
हम ने चाहा कि
पृथ्वी का रंग रूप रहे,
ऐ दिल, अब भूल जा,
बादलों में, इक घर की, कर न तू कल्पना,
धुआँ है वो, जो सामने है,
और है क्या?
देखा तुझे यूँ अचानक जब अपने दालान ।
यूँ लगा जैसे जेहन उतर आया कोई चाँद ।।
पूछ रहे तुम मुझ से मेरा ही पता ।
दिल को भा गया मुसाफ़िर तेरा यह अंदाज़ ।।
....
आज बस
सादर
....
आज बस
सादर
सभी रचनाएं अपने आप में अद्वितीय हैं, मुझे शामिल करने हेतु आभार, प्रस्तुति एवं संकलन अभिनव व सुन्दर।
ReplyDeleteसुन्दर संकलन l मुझे शामिल करने हेतु आभार ll
ReplyDelete