सादर अभिवादन
देहान्त के बाद
शरीर जैसे ठण्हा हो जाता है
वैसा ही कुछ हो गया था
रक्तचाप कम हो गया था
...
चलिए चलते हैं..
आंतरिक क्षरण ....शान्तनु सान्याल
निर्वाक पृथ्वी,
निस्तेज बुझा सा आकाश,
कांधे में लिए जन्मों का ऋण,
रात को फिर है गुज़रना,
बियाबां के उस पार,
निष्ठुर, नियति के नाट्य -मंच पर उठने को है
सौभिक यवनिका,
वही अमोघ खेलकुछ प्रच्छन्न,
कुछ प्रकाशित
मछुआरे,
तुम मझधार में गए थे,
तुम्हें तो लौट आना था,
पर तुम उस पार चले गए.
अब नहीं लौटोगे तुम इस पार,
तू हुनरमंद मैं बेफिक्रे आलम l
चल सौदा अहसासों का करते हैं ll
कुछ अजनबी मोड़ से टकरा रही जिंदगी l
दुरस्त बातों जज्बातों को करते हैं ll
दुश्मनों के लिए तलवार बने बैठे ..... "मेहदी हल्लौरी "
अपनी क़ब्रों के ज़मीदार बने बैठे हैं,
बेनियाज़ी में भी दिलदार बने बैठे हैं।
उन को ग़द्दारी की ऐनक से न देखो प्यारे,
जो अज़ल से ही वफ़ादार बने बैठे हैं।
मत देना मुझे
कभी भी
इतनी ऊँचाई
कि गुरुर में गर्दन
अकड़ जाए
और सुरुर में भाल
झुके न कहीं,
नाक उठा दिखाऊँ
सच तो ये है ....डॉ. वर्षा सिंह
रेशमी फूल हवा भी ताज़ा
ख़त मेरे नाम क्यों नहीं आया
झील में अक़्स देखना मुश्किल
इस तरफ हैं शजर, उधर छाया
....
बस
सादर
सुन्दर प्रस्तुति. मेरी कविता शामिल की. आभार.
ReplyDeleteसभी कृतियाँ अद्वितीय हैं, हमेशा की तरह मुखरित मौन प्रभाव छोड़ जाता है, मुझे शामिल करने के लिए हार्दिक आभार आदरणीया यशोदा जी - - नमन सह।
ReplyDeleteहर पल चिन्ता या यूँ कहिए डर लगा रहता है छोटी बहना आपके लिए..
ReplyDeleteस्वस्थ्य रहें बस हर पल दुआ है
सुंदर संकलन के साथ साथ सुंदर प्रस्तुतीकरण..।
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिंक्स संयोजन
ReplyDeleteमेरी पोस्ट को शामिल करने हेतु हार्दिक आभार 🙏
मुई तबीयत भी बड़ी नखरीली होती है जिसका कुछ ज्यादा ही ख्याल रखना पड़ता है । कृपया अपना भी कुछ ज्यादा ही ख्याल रखें और स्वस्थ रहें । शुभकामनाएं ।
ReplyDeleteसुंदर संकलन, मेरी रचना शामिल करने हेतु हार्दिक आभार
ReplyDeleteसुंदर अंक
ReplyDeleteसुन्दर संकलन...मेरी कति शामिल करने के लिए धन्यवाद!
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