Tuesday, December 22, 2020

577 ...अपनी भाषा को पहले हमें ही सम्मान देना है

सादर अभिवादन 
बेसब्र है दुनिया 
अभी से विदाई की सोचने लगी 
सरकार भी तीन महीने एक्सटेंशन देती है 
आज की रचनाएँ देखें 




खिल ही जाते हैं गरीब की बगिया में भी
.मौसमानकूल कुछ फूल चाहे अनचाहे...
सिसकते सुबकते कुछ अलसाये से
जिनके स्पर्श से जाग उठती है 
उनकी अभावग्रस्त मरियल सी आत्मा
आशा की बुझती चिनगारी को
फूँकनी से फूँक मार-मारकर
जलाते हैं हिम्मत की लौ.......





ममता से त्रस्त
हुआ सारा बंग है
छिड़ी केंद्र औ राज्य में
देखो कैसी जंग है !!
ममता की कितनी
कुटिल और
खूनी चाले...
हो रहे न जाने बंग में
कितने खूनी घोटाले !





बच्चे हो या बड़े सभी को
समोसे बहुत पसंद होते है।
जानिए, हलवाई जैसे
खस्तेदार समोसे बनाने के सारे राज...
जिससे समोसे की परत नर्म न
होकर वे खस्ता बनेंगे!!




रातें काटी तारे गिन गिन
थके हारे नैन ताकते रहे बंद दरवाजे को
हलकी सी आहट भी
ले जाती सारा ध्यान उस उस ओर
विरहन जोह रही राह तुम्हारी
कब तक उससे प्रतीक्षा करवाओगे


"बड़प्पन" ...


गुज़रते लम्हों ने सिखला ही दिया...
मोहब्बत जग में जाहिर की जा सकती है
गम आँसू निजी दामन में छिपाने योग्य होते हैं
समय पर ही वक़्त आता है  !


कुछ अलग सा ..


विश्व में केवल संस्कृत ही ऐसी भाषा है
जिसमें सिर्फ  "एक अक्षर, दो अक्षर या
केवल तीन ही अक्षरों" से पूरा वाक्य बनाया जा सकता है।
जैसेः
न नोननुन्नो नुन्नोनो नाना नानानना ननु।
नुन्नोऽनुन्नो ननुन्नेनो नानेना नुन्ननुन्ननुत्॥

यानी, जो मनुष्य युद्ध में अपने से दुर्बल मनुष्य के हाथों घायल हुआ है
वह सच्चा मनुष्य नहीं है। ऐसे ही अपने से दुर्बल को घायल करता है
वो भी मनुष्य नहीं है। घायल मनुष्य का स्वामी यदि घायल न हुआ हो तो ऐसे मनुष्य को घायल नहीं कहते और
घायल मनुष्य को घायल करें वो भी मनुष्य नहीं है।

4 comments:

  1. मेरी रचना को सांध्य दैनिक मुखरित मौन में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, यशोदा दी।

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  2. शुभ संध्या..
    बढ़िया अंक..
    सादर..

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  3. शानदार लिंको से सजा सुन्दर मुखरित मौन...
    मेरी रचना को यहाँ स्थान देने हेतु तहेदिल से आभार एवं धन्यवाद आपका।

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  4. सस्नेहाशीष व असीम शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार आपका छोटी बहना
    श्रमसाध्य कार्य हेतु साधुवाद

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