सुर के साथ साज देखिए
कहने का अंदाज देखिए
बातों की तह में जाकर
दिल में छुपे राज देखिए
प्यार में हुआ था पागल
कैसे गिरी है गाज देखिए
कल अहं था आसमाँ पर
पैरो में उसके ताज देखिए
रहा गुनाहगारों की सफ़ में
आज उसके नाज देखिए
नीचे निगाह ऊँची उड़ान
घात लगाता बाज देखिए
जिसके लिए मरे वही मारे
आती नहीं है लाज देखिए
-बाबू राम प्रधान
अल्मोड़ा
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteVery Nice
ReplyDeleteबढ़िया शेर
ReplyDeleteआभार दीदी
Deleteसादर वन्दे
रहा गुनाहगारों की सफ़ में
ReplyDeleteआज उसके नाज देखिए
नीचे निगाह ऊँची उड़ान
घात लगाता बाज देखिए
वाह !!!
लाजवाब ।
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteबाबू राम प्रधानजी क्या लिखा है आपने जैसे हर शेर एक तमाचा सा लगता है, न आवाज़, न शोर, बस सीधा दिल पर असर करता है। सच कहूं तो “जिसके लिए मरे वही मारे” पढ़कर तो आंखें भर आयी क्युकी ये तो हम सबने कभी न कभी महसूस किया है, बस किसी ने इतनी खूबसूरती से कोई कह नहीं पाया। आप बस ऐसे ही लिखते रहो, मैं तो अब हर नई कविता के लिए नोटिफिकेशन ऑन करने वाला हू।
ReplyDelete