सादर वन्दे
कहते हैं नया साल आ गया
सुबह तो नया कुछ नहीं दिखा
सूरज भी वही था
पशु-पक्षी भी वही..
हाँ..सड़को पर कइयों ने
चूने से पोतकर
हैप्पी न्यू इयर लिख दिया था
किसी को मनाने को कुछ
नहीं मिला तो उसने
एक सोते हुए कुत्ते को
पत्थर से मार दिया
बेचारा श्वान..
कूँ-कूँ करते भाग लिया
आइए रचनाएँ देखें..
कूँ-कूँ करते भाग लिया
आइए रचनाएँ देखें..
जीवनोत्सव रुकता नहीं,
केवल बुझ जाते हैं,
देह से लिपटे हुए रंग मशाल,
इस अस्ताचल से
आगामी डूब तक कोई नहीं होता
राख के पास।
नया साल ..सुधिनामा
केवल बुझ जाते हैं,
देह से लिपटे हुए रंग मशाल,
इस अस्ताचल से
आगामी डूब तक कोई नहीं होता
राख के पास।
नया साल ..सुधिनामा
जश्न तो मनाना है
नये साल को बुलाना है
जो दुःख दिये बीते साल ने
सिरे से उन्हें भुलाना है !
वो हर युग में छली जाती हैं ...मेरी धरोहर
नये साल को बुलाना है
जो दुःख दिये बीते साल ने
सिरे से उन्हें भुलाना है !
वो हर युग में छली जाती हैं ...मेरी धरोहर
उन्हें पता है कि,
वो हर युग में छली जाती हैं
इसीलिए,
स्त्रियाँ सुनती नहीं
धुनती हैं जीवन को रुई की तरह
और ढूंढ ही लेती हैं
मोक्ष का मार्ग...
प्रेम से
वात्सल्य से
'पंच परमेश्वर' ..सोच का सृजन
वो हर युग में छली जाती हैं
इसीलिए,
स्त्रियाँ सुनती नहीं
धुनती हैं जीवन को रुई की तरह
और ढूंढ ही लेती हैं
मोक्ष का मार्ग...
प्रेम से
वात्सल्य से
'पंच परमेश्वर' ..सोच का सृजन
"यह क्या है बबलू.. यहाँ पर मंदिर बन रहा है..?" विक्की ने पूछा।
"हाँ! वक्त का न्याय है।" बबलू ने कहा।
"अगर आप घर में से अपना हिस्सा छोड़ दें तो
हम खेत में से अपना हिस्सा छोड़ देंगे।" बबलू ने विक्की से कहा था।
संभावनाओं की प्रतीक्षा ...मन के पाखी
ठूँठ पर बने नीड़,
माटी में दबे बीज के फूटने की आस
की तरह,
जटिल परिस्थितियों में
नयी संभावनाओं की प्रतीक्षा में
जीवन की सुगबुगाहट
महसूसने से ही
सृष्टि का अस्तित्व है।
"हाँ! वक्त का न्याय है।" बबलू ने कहा।
"अगर आप घर में से अपना हिस्सा छोड़ दें तो
हम खेत में से अपना हिस्सा छोड़ देंगे।" बबलू ने विक्की से कहा था।
संभावनाओं की प्रतीक्षा ...मन के पाखी
ठूँठ पर बने नीड़,
माटी में दबे बीज के फूटने की आस
की तरह,
जटिल परिस्थितियों में
नयी संभावनाओं की प्रतीक्षा में
जीवन की सुगबुगाहट
महसूसने से ही
सृष्टि का अस्तित्व है।
......
बस..
सादर
बस..
सादर
व्वाहहह...
ReplyDeleteशानदार शुभकामनाएँँ
आभार..
सादर..
अप्रतिम...
ReplyDeleteसादर..
अरे वाह ! सुन्दर सार्थक सूत्रों से सुसज्जित बहुत ही सुन्दर सांकल आज का ! मेरी रचना को स्थान दिया ह्रदय से आभारी हूँ ! नव वर्ष की सभी सुधि पाठकों को हार्दिक शुभकामनाएं !
ReplyDelete💐🙏🏻💐 सांध्य दैनिक मुखरित मौन के समस्त सहभागियों एवं सुधी पाठकों को नववर्ष 2021 के आगमन पर मेरी हार्दिक शुभकामनाएं 💐🙏🏻💐
ReplyDeleteप्रिय दिव्या अग्रवाल जी,
मेरी पोस्ट को इस महत्वपूर्ण संकलन में शामिल करने हेतु हार्दिक आभार 🙏🏻🌹🙏🏻
पुनः हार्दिक शुभकामनाओं सहित,
सस्नेह,
- डॉ. वर्षा सिंह
बहुत रोचक एवं पठनीय लिंक्स उपलब्ध कराने के लिए आभार एवं साधुवाद !!!
ReplyDeleteनववर्ष पर हार्दिक शुभकामनाएं 🌹🙏🌹
- डॉ. शरद सिंह
नए साल की नई उम्मीदों से लबरेज़, मुखरित मौन मुग्ध करता हुआ, मुझे शामिल करने हेतु ह्रदय तल से आभार आदरणीया दिव्या जी - - नमन सह। नूतन वर्ष की असंख्य शुभकामनाएं।
ReplyDeleteअसीम शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार आपका
ReplyDeleteश्रमसाध्य कार्य हेतु साधुवाद
दिव्या जी, बहुत खूब कलेक्शन है रचनाओं का..वनवर्ष की शुभकामनायें
ReplyDeleteबहुत सुंदर,नव वर्ष सुखद हो
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