सादर अभिवादन..
गुज़रो न बस क़रीब से
ख़याल की तरह
आ जाओ ज़िंदगी में
नए साल की तरह ...
ख़याल की तरह
आ जाओ ज़िंदगी में
नए साल की तरह ...
आज के अंक की शुरुआत
थक गई हूँ मैं अब खुली हुई आँखों से
रोज रोज के झंझावातों से
आख़िर मिलता ही क्या है आंखें खोलकर
हर कदम रखना पड़ता है तौल तौलकर
सोचा-समझा प्यार ...ओंकार जी
बदले समय में ज़रूरी है
कि हम सोच-समझकर
नफ़ा-नुकसान देखकर
प्यार करना सीख लें.
गृहपालित पाखी ...शान्तनु सान्याल
उंगलियों के दाग़, अभी तक हैं - -
लिपटे हुए मृदु पंख में, मुक्त हो कर भी
मन, सुदूर उड़ नहीं पाता,
बारम्बार लौट आता है मायावी जाल में,
घना कोहरा झपटने को है आतुर,
नए साल में नई आस ...अपर्णा बाजपेई
2021 लाएगा
मतवाली हर शाम नई,
परिवारों में हो पाएगी
मस्ती वाली बात नई,
साथ बैठ कर खाएंगे सब
पूछेंगे सबका सब हाल,
दौड़भाग से बच थोड़ा सा
मन को करेंगे माला माल,
अपनी बातें अपने सपने
बांटेंगे परिवारों में,
एकाकी होते जीवन को,
खोलेंगे निज उपवन में,
29 दिसम्बर
नये साल में
नये जोश से
उतार लेना
कहीं भी
किसी के
भी कपड़े
जो हो गया
सो हो गया
वो सब मत
लिख देना
जो झेल
लिया है
....
बस..
कल फिर
सादर
बहुत अच्छी सांध्य दैनिक मुखरित मौन प्रस्तुति
ReplyDeleteअच्छा संकलन ...
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteसुन्दर संकलन. मेरी कविता शामिल की. शुक्रिया.
ReplyDeleteसुन्दर रचनाओं से सुरभित सांध्य अंक नए साल की स्वागत में बेक़रार सा है - - सुन्दर प्रस्तुति के साथ, मुझे स्थान देने हेतु आभार, आदरणीया यशोदा जी - - नमन सह।
ReplyDeleteआप को फ़िर मिल गया आठ साल पुराना कूड़ा 'उलूक' का :) आभार यशोदा जी।
ReplyDeleteसुन्दर संकलन
ReplyDeleteसुंदर संकलन एवं उम्दा प्रस्तुतीकरण ! मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हृदय से अभिनंदन करती हूँ..आदरणीय यशोदा दी आपको एवं सभी रचनाकारों को नए वर्ष की हार्दिक शुभकामनाओं सहित मेरा नमन और वंदन..।
ReplyDeleteउम्दा लिंक्स चयन
ReplyDeleteशानदार अंक..
ReplyDeleteआभार..
सादर..