सादर अभिवादन
Thursday, September 30, 2021
776 ..ठाढ़ा सिंह चरावै गाई का ना ऐसा हाल था
Wednesday, September 29, 2021
775 ..यह विश्व राजनीति का महान एक केंद्र है
Tuesday, September 28, 2021
774 ...आज जन्म दिन है लता जी का दीर्घायु हों यही कामना है
सादर अभिवादन
सुनिए ये गीत..
Monday, September 27, 2021
Saturday, September 25, 2021
772..ऐसा तो कम ही होता है वो भी हों तन्हाई भी - गुलज़ार
Friday, September 24, 2021
771..एक कप चाय : सतपाल ख़याल
एक कप चाय : सतपाल ख़या
“उम्र अस्सी की हो गई | दस साल पहले पत्नी छोड़ गई ,बेटी विदेश में ब्याही हुई है | बेटा इसी शहर में है लेकिन किसी कारणवश साथ नहीं रहता ,खैर !”
इतना कहकर गुप्ता जी ने ठंडी आह भरी और मुझे पूछा कि चाय पीओगे ?
मैंने “हाँ” में सर हिला दिया |
चाय बनाते हुए गुप्ता जी ने मुझे कहा कि एक कप चाय मुझे बनानी नहीं आती और बहुत मुश्किल भी है ,एक कप चाय बनाना | एक कप चाय बनाना अगर आदमी सीख ले तो उसे खुश रहने के लिए किसी की ज़रूरत नहीं पड़ेगी |
गुप्ता जी ने चाय मेज़ पे रख दी और मैं भी उनके साथ चाय पीने लगा |
मैंने उनसे पूछा कि आप इस उम्र में इतने बड़े मकान में अकेले रहते हो और बीमार भी हैं तो ..
“बेटा , ज़्यादा से ज्यादा क्या होगा ,मर जाउंगा ,बस | इससे बुरा और क्या हो सकता है, अब मुझे मौत का डर नहीं है | लेकिन ज़िन्दगी को लेकर कुछ नाराज़गियां तो हैं |”
मैंने पूछा “क्या नाराजगी है”?
“यही कि एक कप चाय कैसी बनानी है, ये न सीख पाया” गुप्ता जी थोड़ा मुस्कुरा कर चुटकीले अंदाज़ में बोले |
“अंकल , अफ़सोस होता है क्या कि आप उम्र भर जिस परिवार के लिए कमाया उनमें से कोई भी साथ में नहीं है”
“बेटा , ये न्यू नार्मल है | ऐसा होता ही है | तुम भी अभी से एक कप चाय बनान सीख लो”
मैं चाय ख़त्म करके उठा और गुप्ता जी से कहा कि अगर कोई ज़रूरत हो तो मुझे बताइयेगा |
गुप्ता जी ने कहा – “नहीं, मेरा बेटा है न | पास में ही तो है |”
मैंने सोचा बाप ,बाप ही होता है ,बेटा चाहे कैसा भी हो ,उससे नाराज़ होते हुए भी नाराज़गी ज़ाहिर नहीं करता |
मैं बापस घर आ गया और रात भर सोचता रहा कि हासिल क्या है इस ज़िन्दगी का | जो आदमी सारी उम्र परिवार के लिए मरता है , अंत में परिवार उसे छोड़ देता है और क्या ये बाकई न्यू नार्मल है | मृत्यू से बड़ा दुःख तो ज़िंदगी है | मृत्यु तो वरदान है जो इस अभीशिप्त जीवन के दुःख से मुक्त कर देती है | ये सोचते- सोचते सुबह हो गई |
मैं उठकर दो कप चाय बनाकर लाया और पत्नी से पूछा कि पीओगी क्या ?
पत्नी बोली कि आफिस के लिए लेट हो जाऊँगी तुम अकेले ही पी लो | मैं मन ही मन हंसा और गुप्ता जी का एक कप चाय पे दिया ज्ञान मुझे बरबस याद आ गया |
मैंने चाय नहीं पी , दोनों चाय के कप मेज़ पे पड़े मानो मुझ पर तंज़ कर रहे हों और मैं उन्हें इग्नोर करके तैयार होकर आफिस को चल दिया | गाड़ी में बैठा तो देखा की शर्ट का एक बटन टूटा हुआ था , मैंने मुस्कुरा कर आस्तीन को फोल्ड कर लिया और ख़ुद को मोटीवेट करने के लिए गाड़ी में रिकार्ड मोटीवेशनल स्पीच सुनने लगा | स्पीकर यही कह रहा था कि बस चलते रहो ,रुकना मत ,रुक गए तो खत्म हो जाओगे ,किसी तालाब की तरह सड़ने लगोगे ,बहते रहने में ही गति है | मैं आफिस में पहुंच कर एक कनीज़ की तरह अपने बादशाह सलामत बॉस को गुड मार्निंग कह कर अपनी कुर्सी पर बैठ गया |
अचानक एक कालेज के मित्र का फोन आया कि तू फलां चाय की दुकान पे लंच टाइम में आ जाना | आज “एक बटा दो “ चाय का आनन्द लेते हैं | कालेज के जमाने में हम लोग ऐसे ही करते थे| दो दोस्त हों तो एक बटा दो ,तीन हों तो एक बटा तीन ,एक बटा चार की भी नौबत आ जाती थी |
और अब दो कप चाय मेज़ पे पड़ी रह जाती है |
खैर ! इस चाय की फलासफी ने मन को उदास कर दिया |
शाम को घर पहुंचते हीपता चला कि गुप्ता अंकल की डेथ हो गई | मैं दुखी तो हुआ लेकिन पता नहीं क्यों मन का एक कोना तृप्ती से भर गया कि एकांत के चंगुल से एक आदमी को निज़ात मिल गई |
“क्या ये सही है कि हमें खुश रहने के लिए किसी की ज़रूरत नहीं पडती ? “ मैंने खुद से ही पूछा और खुद को ही जवाब दिया –
“ कोई सदियों में एक बुद्ध पैदा होता होगा जिसे अकेलेपन में खुशी मिलती होगी | हम लोग जो बेल –बूटों की तरह पैदा होते हैं ,हमें सहारे की ज़रूरत होती है | हम अकेले में खुश नहीं रह सकते|”
गुप्ता जी एक कप चाय बनाना तो नहीं सीख पाए लेकिन जीवन का अंतिम पहर उन्होंने एक कप चाय के सहारे ही काटा |
Thursday, September 23, 2021
770 ...महालया के दिन पूरी प्रकृति माँ दुर्गा बन जाती है
सादर
Wednesday, September 22, 2021
769....अपनों की यादों को भुलाया नहीं जाता
क्षमा
आज कम्प्यूटर में कुछ समस्या है
सादर
Tuesday, September 21, 2021
768 ...कई चाबियाँ आईं- चली गईं लेकिन न खुला ताला
सादर
Monday, September 20, 2021
767 ..मुहब्बत की नदी में,बहे धार बनकर
Sunday, September 19, 2021
766..दो गज जमीन के मोहताज हैं ..... बहादुरशाह 'ज़फर'
पर उन्हें रंगून (म्यामार) में दफनाया गया
प्रस्तुत है आज की एकल रचना
Saturday, September 18, 2021
765 ...ख़ाक ऐसी ज़िन्दगी पे कि पत्थर नहीं हूँ मैं
दोनों टीके लगा कर आए
सादर
Friday, September 17, 2021
764..जन्म-दिवस पर आपको, नमन हजारों बार
सादर अभिवादन
आज जन्म दिन
आज मैं..
देवी जी अपने मोबाईल की पूजा करने में लगी है
आपके प्रसाद के दर्शन भी होंगे