Saturday, January 25, 2020

247...भारतीय गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर आपका हार्दिक अभिनन्दन

भारतीय गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर
आपका हार्दिक अभिनन्दन
26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था


चलिए आज की रचनाओं की ओर..

ऐ कुर्सी वाले बख्श दो
देश के भविष्य को
बख्श दो हमारे बच्चों को
जिस देश में है बसेरा
चिड़ियों का उस देश को
गिध्दों का बसेरा न बनाओ

धधक उठी ज्वाला नभ उर में,
हाहाकार मचा कलरव में,
विपुल समर को घन अब रण में,
उठी चित्कार सुनो मनवन में,
थे तृण हरित,सब शूल हुए हैं,
त्राहि त्राहि कर धूल उड़े है,
पतित हुई अब मानसी गंगा,
सत्य,धर्म का झूठा धंधा,

काला पानी की काली स्याही ......सुबोध सिन्हा

हाँ .. वही गणतंत्र .. जिसके उत्सव के 
हर्षोल्लास को दोहरी करती
मनाते हैं हम राष्ट्रीय-पर्व की छुट्टी
खाते भी हैं जलेबी और इमरती
पर .. टप्-टप् टपकती चाशनी में
इन गर्मा-गर्म जलेबियों और इमरतियों की
होती नहीं प्रतिबिम्बित कभी क्या आपको
उन शहीदों के टपकते लहू
उनके अपनों के ढलकते आँसू
यूँ ही तो मिली नहीं हमको .. आज़ादी



तन्हाई में कहीं ..पुरुषोत्तम सिन्हा

चलो ना, तन्हाई में कहीं, कुछ देर जरा....

मन को चीर रही, ये शोर, ये भीड़,
हो चले, कितने, ये लोग अधीर,
हर-क्षण है रार, ना मन को है करार, 
क्षण-भर न यहाँ, चैन जरा!

तीस पार की लड़कियाँ ...रोली अभिलाषा

कानों पर उँगली रख लेती हैं अक्सर
ये तीस पार की लड़कियाँ
रिश्ते के नाम पर
विवाह मोह का जाल भर होता है,
इतनी भा जाती है इनको
अकेलेपन की ख़ुराक़
कि रिश्ता ओवरडोज़ लगता है

चलते- चलते एक गीत


सादर





5 comments:

  1. गणतंत्र दिवस की अग्रिम शुभकामनाओं सहित आभार।

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  2. शुभकामनाएं गणतंत्र दिवस की।

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  3. व्वाहहहह...
    भारतीय गणतंत्र दिवस पर शुभकामनाएँ..
    सादर...

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  4. गणतंत्र दिवस की ढेरों शुभकामनाओं के संग आप सभी आदरणीय जनों को सादर प्रणाम 🙏 जय हिंद।
    मेरी रचना को स्थान देने हेतु हार्दिक आभार आदरणीया दीदी जी।

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  5. गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
    शानदार प्रस्तुति के लिए बधाई ।
    सुंदर लिंक चयन सभी रचनाकारों को बधाई।

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