सादर अभिवादन
जनवरी का सातवां दिन
नया कुछ नहीं खिला
नहीं तो नहीं सही
....हमें क्या..
चलिए रचनाएँ देखें..
जनवरी का सातवां दिन
नया कुछ नहीं खिला
नहीं तो नहीं सही
....हमें क्या..
चलिए रचनाएँ देखें..
एक बस्ती में
एक चीख उभरी थी,
श्रेणी थी डर...
उसी बस्ती में दोबारा
दो तीन चीखें और उभरी थी
अबकी उसकी श्रेणी थी निराशा और हताशा
कुछ दिनों बाद
कुछ बड़े समूहों की चीखें उभरी
कम्बख्त हठी ...निवेदिता दिनकर
कुछ बातों की हिस्सेदारी नहीं होती ,
बिलकुल दास्तानों की तरह ...
कश्मीरी कहवा हलक से उतरते ही मीठी हो चली।
बादाम का असर का आसार भी ...
हौले हौले मन के फ़िज़ा में कोई दस्तक देने लगा।
फैली धुंध कोहरे की,
आसमान में बदली छाई।
समा जाने को रूह में तत्पर,
ठंढी हवा बहती हरजाई ।
झम-झम-झम मेघ बरसते
दिखा रहे हैं औकात।
हाय वेदर्दी बड़ी सताती
पूस की बरसात।
“नि होन्दू पिरुळै डांग, नि लगदी यू निर्भागी बणाग”
चीड़ पर नीड़ नहीं हुआ करते हैं क्योंकि प्रकृति ने अपने आचरण को समझने के लिए इंशानो से ज्यादा समझ विहगों को दी है उन्हें पता होता है कि चीड के बृक्ष पर हमारे नीड़ों को संभालने का न सऊर हैं न सामर्थ्य ना ही समझ, बसंत के बाद इसकी छिछेली पत्तियां भी इसे छोड़कर कुछ दिनों के लिए इसको ठंगरा (ठूंठ) बना देता है इसलिए कोई भी नभचर चीड पर अपना घौंसला नहीं बनता, क्योंकि उन जातकों को भी पता है एक दिन यह नग्न हो जायेगा और मेरे घर को भी नग्न कर देगा,
कांटों पे खिलने की चाहत थी तुझमें,
राह जैसी भी रही हो चला करते थे ।
न मिली मंज़िल ,हर मोड़ पर फिरभी
अपनी पहचान तुम बनाया करते थे।
बीज बो गए विषमता के
आज यहाँ सापों की खेती उग आई है
क्यारी को फिर से सँवारो
बीज नए डालो प्यार के हमदर्दी के,
मेड़ें मत बाँधो
...
आज इतना ही
सादर
आज इतना ही
सादर
व्वाहहहह...
ReplyDeleteबढ़िया...
सादर..
ReplyDeleteजी नववर्ष के प्रथम सप्ताह देश- विदेश में अशांति का माहौल निश्चित रहा। ईरान में जनरल कासिम सुलेमानी के मारे जाने के पश्चात अमेरिका संग तनातनी,जनरल के जनाजे में जनशक्ति प्रदर्शन के दौरान भगदड़ में कई दर्जन लोगों की मौत ...।
निर्भया केस में आरोपियों का डेथ वारण्ट जारी होना आदि तो रहा है
नागरिकता संशोधन कानून के समर्थन में तिरंगा लेकर आज यहाँ हिन्दू संगठनों ने बाइक जुलूस निकालकर जन शक्ति का प्रदर्शन।
बहरहाल, मेरे लिए यह सप्ताह अच्छा रहा , आपने इस मंच पर मेरी दो रचनाओं को स्थान दिया। अतः हृदय से आपको धन्यवाद दे रहा हूंँ यशोदा दी।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteवाह बेहतरीन रचनाओं का संगम।सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ। मेरी रचना को मंच में स्थान देने के लिए हार्दिक धन्यबाद दीदीजी।सादर नमन।
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका धन्यवाद यशोदा जी !
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