Saturday, October 27, 2018

12. मेंहदी वाले हाथ...

हिंदू संस्कृति में स्त्रियाँ अपने परिवार ,अपने जीवन-साथी के साथ और सुख-समृद्धि के लिए अनेक व्रत और उपवास रखती हैं।
करवा चौथ कार्तिक मास के कृष्णपक्ष में चतुर्थी तिथि को मनाया जाने वाला त्योहार है।
उत्तर पूर्वी भारत में प्रमुखता से मनाया जाने वाला यह त्योहार सुहागिन स्त्रियों के द्वारा किया जाता है।
दिनभर निर्जला उपवास करके शाम को सोलह श्रृंगार से अलंकृत होकर स्त्रियाँ शिव-पार्वती की पूजा करती है और चाँद निकलने पर चाँद की पूजा करके अर्ध्य देकर पति के हाथों पानी पीकर व्रत का समापन करती है।

  आज की रचनाएँ पढ़ते हैं-


अब हम भले ही डिफेक्टिव पीस निकल गए पर एक बात है कि हमें व्रत, पूजा-पाठ करती और खूब सजी-धजी स्त्रियाँ बेहद प्यारी लगती हैं. त्योहारों में इनमें एक अलग ही नज़ाकत और शर्मीलापन-सा भर जाता है. पति के छेड़ने पर जब ये मुस्कुराते हुए "चलो, हटो" कहती हैं तो उस समय उनकी ये अदा देखते ही बनती है. आस्था-विश्वास से भरे इन प्यारे चेहरों और इनके मेहंदी भरे हाथ देखना बेहद अच्छा लगता है. इसलिए मैं तर्क-वितर्क में नहीं पड़ती
★★★★★★




पिंकी छोटे-छोटे बर्तनों में खाना बनाने का खेल खेल रही थी और बोले जा रही थी –‘‘रवि! आइए! आपका पराठा बन गया ! ये लीजिए!
सुमन की हँसी फूट पड़ी ! रवि उसके पति अर्थात् पिंकी के पापा का नाम था !
अरे! ये तो ठंडा हो गया सुमन! इतना ठंडा नहीं खा सकता मैं!
कोई बात नहीं! आप छोड़ दो उसेमैं खा लूँगी ! मैं आपके लिए और ला रही हूँ गर्म-गर्म ! ये लीजिए !

★★★★★★★




हमारे रुढ़िवादी समाज और धार्मिक कट्टरता का शिकार मैं कई बार मजहबी पाबंदियों के प्रति तल्ख़ हुई तो इसकी वजह मेरा भोगा हुआ यथार्थ ही था. एक संकीर्ण मानसिकता से मेरा हुआ नुकसान मुझे मुखरता से लिखने के लिए जैसे उकसाता था. फिर भी मैंने भरसक कोशिश की कि मेरा लेखन महज़ कोसाई का नमूना ही बन कर ना रह जाए. मैंने कोशिश की कि नकारात्मकता से पॉजिटिविटी की तरफ के सफ़र की मैं फ्लैग बियरर बनूँ. 

★★★★★

आज के लिए इतना ही

आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा में..




Saturday, October 20, 2018

11....उम्र ढल चुकी अब तो, और दूर चला नहीं जाता

सादर अभिवादन
दशहरा तो हो गया कल
जल गया पुतला रावण का
जिन्होंनें कल जलाया उनके भीतर का
श्री राम जीवित था....पर आज...
जस का तस हो गया.....
-*-*-*-
चलिए चले आज की संक्षिप्त प्रस्तुति की ओर....
विभा दीदी की कलम से...
"शुभोत्कर्षिणी"

सभी उलझन में ही थे कि लाल कमल से भरी टोकरी लेकर अलगू की बेटी चिकित्सक के सामने आ खड़ी हुई...
      "इसे लेकर मैं क्या करूँगी बेटी...? यह दुर्गा माँ के लिए होता है...।"
"जानती हूँ! आप इसमें से एक लाल कमल लेकर बोहनी समझिए डॉक्टर मैडम जी और बाबा का इलाज शुरू कीजिए... मैं मजदूरी नहीं कर सकती, व्यापार तो कर सकती हूँ...!"

-*-*-*-*-
मीना भारद्वाज जी की कलम से...
"त्रिवेणी"....

आज कल बोलने का वक्त है । 
कहने सुनने से आत्मबल बढ़़ जाता है ।

मछली बाजारों में बातें कहां शोर ही सुनता है ।। 

-*-*-*-
रविंद्र जी "रवी" पहला बार इस ब्लॉग में
ढलती उम्र.....

काफिले नजर नहीं आते ,
मंजिलें नजर नहीं आती
उम्र ढल चुकी अब तो,
और दूर चला नहीं जाता

-*-*-*-*-
संजय भास्कर की एक अनेखी पेशकश.....
हिंदी सिनेमा की सदाबहार अदाकारा और 
खूबसूरती की मल्लिका - रेखा

बॉलीवुड का ऐसा नाम जो आज भी सब के जुबां पर रहता है वो है रेखा सदाबहार अभिनेत्री रेखा हिन्दी फिल्म जगत की शान हैं। उनके चेहरे की चमक आज भी अन्य अभिनेत्रियों की शान को फीका कर देती है। अपने हिस्से आए हर किरदार को दमदार बनाने वाली रेखा के आंचल में कई बड़े पुरस्कार आए। वो राजकीय पुरस्कार पद्मश्री से भी सम्मानित हैं। 

चलते-चलते अंकित चौधरी का एक गीत

ये जो चाँद है ! चाँद नहीं है , एक सागर है ,
नाव चलाओ तो सही उसपर,
मैं  लहरों  की रवानी दे  दूं |   
पहुंच जाओ बचपन  में , कि बचपन बहुत याद आता है ,
खेल खेलो कोई फिर से ,कि मैं तुम्हे दादी की कहानी दे  दूं । 

आज बस
फिर मिलते हैं
यशोदा













Saturday, October 13, 2018

10...फितरत और फुरसत से साहित्य भी नहीं बनता है

दस नम्बरी प्रस्तुति
सादर अभिवादन.....

नवरात्रि का चौथा दिन
लगता है दीपावली करीब ही है
ऐसे मे छठ माई (सूर्य छठ) को नहीं न भूल सकते

ख्याल रखिए..बस आ ही गई छठ
छठ (पर्व) व्रत पूजा विधि और कथा

जानिए छठ पूजा कैसे करें,  2018 छठ पूजा की तारीख, इतिहास,
उत्पत्ति, छठ पूजा की कथा..सूर्य देव के पूजन व अटल आस्था का
महापर्व निर्जला व्रत छठ पर्व की शुरुआत रविवार, 11 नवंबर 2018, को नहाने और खाने से हो जाएगी। सोमवार, 12 नवंबर 2018, को छोटी छठ (खरना) के साथ 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाएगा। मंगलवार, 13 नवंबर 2018 संध्या अर्घ्य का दिन है जो की संध्या पूजन के रूप में भी जाना जाता है। बुधवार, 14 नवंबर 2018 की सुबह अर्घ्य और पारन या उपवास के पूरा होने का दिन है।


विषमता जीवन की....समाज का कटु सत्य

ऊंची-ऊंची अट्टालिकाओं के समक्ष
बनी ये झुग्गियां
विषमता का देती परिचय
मारती हैं तमाचा समाज के मुख पर
चलता है यहां गरीबी का नंगा नाच
भूखे पेट नंगे तन
भटकता भारत का भविष्य
मांगता जीवन की चंद खुशियां


‘मी टू...आज मीडिया जिसे उछाल रहा

हमारी लड़कियों को, हमारे लड़कों को, यौन-शोषण का शिकार होने से बचने के लिए ख़ुद दुर्गा का अथवा शंकर का रूप धारण करना होगा. साहस और आत्म-शक्ति से ऐसी अधिकांश घटनाओं को रोका जा सकता है.
समाज का दायित्व है कि वह यौन-शोषण की पीड़िता को (अथवा पीड़ित को) हिकारत की नज़र से अथवा उपहास की दृष्टि से न देखे.
मीडिया को यौन-शोषण की घटनाओं को अपने फ़ायदे के लिए प्रकाश में लाने के लालच से बचना चाहिए.
और सबसे बड़ी बात यह कि यौन-शोषण करने वालों को यह सोचना चाहिए कि इस ‘मी टू’ के दायरे में कभी उनकी अपनी बहन, अपनी बेटी और अपना बेटा भी आ सकता है.    


अब दुर्गा माता नाराज नहीं होती...!!!


कुछ साल बाद...
अब मम्मी जी से काम नहीं होता। अत: किसी भी त्योहार में पूजा की तैयारी भी मैं ही करती हूं। नाश्ते में सुबह क्या बनना हैं यह मैं पहले दिन रात को ही सोच लेती हूं और उसी के अनुसार थोड़ी सी तैयारी कर के रख देती हूं। मैं ने कोयले की बजाय गोबरी से ज्योत लेना शुरु कर दिया। कोयले की तुलना में गोबरी जल्दी सुलग जाती हैं और वैसे भी पूजा-पाठ आदि में गोबर को ज्यादा शुद्ध माना जाता हैं। मैं वक्त से पहले बराबर गोबरी सिलगने हेतु रख देती हूं। परिणाम: जब सब ज्योत लेने बैठते हैं, तो गोबरी अच्छे से सिलगने से ज्योत जल्दी आ जाती हैं! इस तरह अब दुर्गा माता मुझ से हरदम प्रसन्न रहती हैं और मुझ से कभी नाराज नहीं होती!!!

कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है..

इस तपोस्थली विंध्य क्षेत्र से तुम क्या लेकर प्रस्थान करोंगे। एक विचित्र सी व्याकुलता इस शक्ति साधना पर्व पर मेरे मन में बनी हुई है। कहाँ- कहाँ से लाखों लोग जिनमें संत से लेकर भिक्षुक  तक हैं, यहाँ आये हुये हैं। लेकिन, मेरा एक प्रश्न है महामाया के दरबार में आये इस पुरुष समाज से कि इनमें से कितनों ने अपनी अर्धांगिनी में देवी शक्ति को ढ़ूंढने का प्रयास किया अथवा उसे हृदय से बराबरी का सम्मान दिया..? शिव ने अर्धनारीश्वर होना इसलिये तो स्वीकार किया।  पुरुष का पराक्रम और नारी का हृदय यह किसी कम्प्यूटर के हार्डवेयर और साफ्टवेयर की तरह ही तो है। एक दूसरे से है, इनका अस्तित्व।



चलते-चलते एक गीत...

हद पार इश्क
आओ ना
बातें करें
कुछ इसकी 
कुछ तेरे दिल की 
खुल कर-
जैसे गहराई से
सच्चाई आती है,
कुछ इशारों में हो-
छुपम छुपाई सी बाते

आज फुरसत में हैं डॉ. सुशील जी जोशी
कल रविवार जो है....


फुरसत से 
कभी फुरसत 
लिख लेने का 

मगर 
फुरसत है 
कि मिलती 
ही नहीं है कभी 
फुरसत से

फुरसत की 
फितरत में 
नहीं होती है 
फुरसत 

फितरत 
मतलब 
सयानापन 



आज अब बस
यशोदा







Saturday, October 6, 2018

09...आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें

सादर अभिवादन
बातें बाद में करेंगे
पहले पढ़े एक तर्पण ऐसा भी.....
अनुराग जी शर्मा......
“जी नहीं, मैं यहाँ नहीं रहता, कर्नाटक से तीर्थयात्रा के लिये आया था। गंगाजी में पितृ तर्पण 
करने के बाद यूँ ही सैर करते-करते इधर निकल आया।”

“हर व्यक्ति, हर काम फ़ायदे के लिये करता तो संसार में कुछ भी न बचता ...
” वह मुस्कुराया, “खेत किसका है, मालिक कौन है, इससे मुझे क्या?”

“हैं!?”  “... भूड़(बालुई जमीन) में सूखती फसल देखी तो लगा कि इसे भी 
तर्पण की आवश्यकता है।”

डॉ. दयाराम आलोक बता रहे हैं सोमरस के फायदे.....
प्राचीन ग्रंथों व वेद-पुराणों में सोमवल्ली पौधे के बारे में कहा गया है कि इस पौधे के सेवन से शरीर 
का कायाकल्प हो जाता है। देवी-देवता व मुनि इस पौधे के रस का सेवन अपने को चिरायु बनाने 
एवं बल सामर्थ्य एवं समृद्धि प्राप्त करने के लिए किया करते थे। इस पौधे की खासियत है कि इसमें 
पत्ते नहीं होते। यह पौधा सिर्फ डंठल के आकार में लताओं के समान है। हरे रंग के डंठल वाले इस 
ऋग्वेद में सोमरस के बारे में कई जगह वर्णन है। एक जगह पर सोम की इतनी उपलब्धता और प्रचलन दिखाया गया है कि इंसानों के साथ-साथ गायों तक को सोमरस भरपेट खिलाए और पिलाए जाने की बात कही गई है।
(और भी बहुत कुछ है इस ब्लॉग में)

डॉ. जगदीश व्योम की ऐतिहासिक कविता
औ' हमारे 
कवच-कुंडल छिन चुके हैं 
इन्द्र का छल - 
सूर्यकुल की आस्थाएँ भी बिलाईं 
धुआँ में हम घिरे 
देती नहीं घटनाएँ दिखाईं 
रक्त बहता 
पाँव से है 
देह में भाले भुँके हैं 

हम लोग सड़क के किनारे ठंडी हवा में गरमा-गर्म चाय एवं स्नैक्स का आनंद ले ही रहे थे कि लकड़ियों के लठ्ठे से भरी हुई एवं धूल उड़ाती दस-बीस ट्रेक्टर से शुरू हुई कारवां सैकड़ो में बदल गई. हमलोग तरोताज़ा हो कर करीब दो किलोमीटर चले तब भी कारवां ख़त्म होने का नाम नहीं ले रही था. हमलोगों के लिए यह कौतूहल का विषय था कि आखिर इतनी लकड़ियाँ कहाँ से आ रहीं हैं और कहाँ जा रहीं हैं. 

खैर ! इन सब के बीच हमलोगों का हरिद्वार पहुँचने के निर्धारित समय में एक घंटा का विलंब हो गया और जिसकी तमन्ना नहीं थी वही हुआ और हमलोगों को हरिद्वार से “हर की पौड़ी” के पास कार पार्किंग तक दो किलोमीटर का रास्ता तय करने में एक घंटा लग गया . “हर की पौड़ी” के पास ही कार पार्किंग थी. हमलोग सुबह साढ़े छः बजे “हर की पौड़ी” पर गंगा स्नान के लिए पहुँच गए. ऐसे तो “हर की पौड़ी” पर भक्त गंगा स्नान के लिए सूर्योदय से पहले ही पहुँचना शुरू कर देते है और देर रात तक गंगा स्नान चलता रहता है.


आज यहीं तक
फिर मिलते हैं न
यशोदा