Wednesday, January 22, 2020

244..शब्दों की रेजगारी और ‘उलूक’

सादर अभिवादन
आज का दिन अच्छा नहीं रहा
दो दांतों ने चबाने से इन्कार कर दिया
सो खलबट्टा का उपयोग किए

चलिए चलें रचनाओँ की ओर..

उस पन्ने का हर शब्द 
हमारे इश्क़ को 
बयां कर रहा था 
जिसे पढ़ कर 
तुम्हारी याद 
बेतरह आने लगी 
बताओ ज़रा तुम्हारी 
यादों से आगे कैसे बढ़ जाऊँ 


इसका ज़िंदा रहना.. जाने कितनी मासूमों की ज़िंदगी 
का तबाह होना था।
तभी भीड़ में से एक लड़का निकलकर आगे आया। उसने चुनरी 
उठाकर उसको ओढ़ा दी। तुम्हारा कोई दोष नहीं है।
आज तुम्हारी इस हालत के जिम्मेदार यह ही लोग हैं।
मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ, हम सब तुम्हारे साथ हैं। भीड़ से 
आवाज आने लगी।हाँ हम सब तुम्हारे साथ हैं।
इंस्पेक्टर शव को उठवा कर पोस्टमार्टम के लिए भेज देता है। 
सुबह अखबारों में मुख्य न्यूज थी। बलात्कार का दोषी 
चंदन ट्रक एक्सीडेंट में मारा गया।
पास के शिव मंदिर में विवाह मंत्र पढ़े जा रहे थे।जिस लड़के शिव ने मीनल को चुनरी ओढ़ाई थी।उसी के साथ मीनल की शादी हो रही थी ‌।


जीवन, उतने ही दिन मेरा! 
जितने दिन, इन पलकों में बसे सवेरा! 
आएंगे-जाएंगे, जीवन के ये लम्हे, 
हम! लौट कहाँ पाएंगे? 
जब तक हैं! हम उनकी यादों में हैं, 
कल, विस्मृत हो जाएंगे!


आज मैं लेकर आई हूं एक बहुत ही स्पेशल रेसिपी...
इन लड्डुओं को बनाने के लिए न ही घी का इस्तेमाल हुआ हैं और न ही चीनी का। बच्चे अक्सर ड्राई फ्रूट खाने नहीं देखते। यदि आप उन्हें इस तरह से मेवे के लड्डू बना कर देगी तो उन्हें पता भी नहीं चलेगा कि ये ड्राई फ्रूट के लड्डू हैं


कभी कोई विवशता,तो कभी कोई मजबूरी रही,
कभी मन ही न हुआ तो कभी मेहनत से दूरी रही,
सुलगते बुझते कर ही लेता है इंसान परिस्थितियों से समझौता,
और फिर न जाने किस किस को दोष देकर
मना लेता है अपने मन को,

मैदान
में
दौड़ना
समझ में
आता है

चूने
की
रेखाओं
से

बाहर
निकल कर

खड़े
बेवकूफों
को
शामिल
कर लेना
ठीक नहीं

दौड़ते
शब्द
टूटते वाक्य
उलझते पन्ने
...
बस फिर कल मिलेंगे
सादर



5 comments:

  1. सराहनीय प्रस्तुति...

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  2. मेरी रचना को "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, यशोदा दी।

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  3. बहुत सुंदर प्रस्तुति। मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार यशोदा जी।

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  4. सह्रदय धन्यवाद मेरी रचना को भी एक कोना देने के लिए आप सबका उत्साहवर्धन ही प्रेरित करता है किसी भी परिस्थिति में कलम पकड़े रहने को

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