Thursday, February 8, 2018

फगुनायौ अम्बर आकाश......डॉ. इन्दिरा गुप्ता

फागुन छायो अब बसंत पर 
फगुनायौ अम्बर आकाश 
अबीर गुलाल भर घट के भीतर 
दियो उंडेल उषा नभ आज ! 

चटख केसरी रंग घुल गयो 
थोड़ो टेसू दिनो डार 
नव लाजवंती नार सरीखो 
अम्बर सजो धजो सो जाय ! 

नीलाम्बुज ने ओढ़ी चुनर 
हरीत पात की बूटी छाय
जल लागे ज्यू धूलि चुनरिया 
सागर जल रंग दिनो जाय ! 

फागुन आयो बजे दुंदभी 
मनइ चंग फगुनाई जाय 
चहुँदिश बाज रहे नक्कारे 
ऋतु गुलाल की हिय भरमाय! 

डॉ. इन्दिरा गुप्ता ✍

2 comments:

  1. बहुत सुंदर रचना
    खूबसूरत शब्दों से सजी

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  2. वाह!!सुंंदर रचना।

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