Wednesday, February 14, 2018

बेमौसम हिमपात....अखिल भंडारी

दरख़्तों पर नये पत्ते
हरे होने लगे हैं लॉन 
चटखती महकती कलियाँ 
चमकती धूप, हल्की हल्की तपिश 
धीमे धीमे से बहती सर्द हवा 
खुला खुला सा नीला आकाश 
वापसी मौसमी परिंदों की 
गर्म कपड़ों में सैर करते बुज़ुर्ग
सब तरफ़ फूल खिलने वाले हैं 
मगर, अचानक, बरफ़ की चादर 
स्याह बादल, सूनी गलियाँ 
सारा मंज़र बदल गया है
-अखिल भंडारी

4 comments: