Tuesday, February 13, 2018

ख़ुशबू



साँसों से नहीं जाती है जज़्बात की ख़ुशबू
यादों में घुल गयी है मुलाकात की ख़ुशबू



चुपके से पलकें चूम गयी ख़्वाब चाँदनी
तन-मन में बस गयी है कल रात की ख़ुशबू



नाराज़ हुआ सूरज जलने लगी धरा भी

बादल छुपाये बैठा है बरसात की ख़ुशबू



कल शाम छू गये थे तुम आँखों से मुझे

होंठों में रच गयी तेरे सौगात की ख़ुशबू



तन्हाई के आँगन में पहन के झाँझरे

जेहन में गुनगुनाएँ तेरी बात की ख़ुशबू



        #श्वेता🍁

11 comments:

  1. वाह श्वेता जी, जज्बातों को क्या शब्द दिए आपने कि जीवंत हो उठे.।..।

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  2. खूबसूरत लिखा, जेहन में गुनगुनाएं तेरे बात की खुशबू।

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  3. वाह!!!
    बहुत लाजवाब जज्बात की खुशबू.....
    जेहन में गुनगुनाएँ तेरे बात की ख़ुशबू
    वाहवाह...

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  4. बेहद खूबसूरत अहसास
    आपकी अनुभूतियाँ मन को भिंगो देती हैं
    सादर

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  5. बहुत खूबसूरत
    एहसास भरी शब्दों से सजी
    नायाब रचना

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  6. कल शाम छू गये थे तुम क्या बात है बहुत सुंदर अभिव्यक्ति.....श्वेता जी

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  7. खूबसूरत एहसासों से भरी शानदार रचना. 👏👏

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  8. वाह ! वाह !! क्या कहने हैं ! लाजवाब ! बहुत खूब आदरणीया ।

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