नमस्कार
अरे भाई सच का नमस्कार
खबर तो है बड़ी
स्कूल चलेंगे अब नए ढर्रे पर
अब चलेंगे 5+3+3+4 के अनुसार (हायर सेकेण्डरी तक)
हमारे जमाने मे चले 10+2 +3 (स्नातक स्तर तक)
इससे पहले चले 5+3+3 (ग्यारहवीं तक)
यानी सरकार बदलाव के चरण बद्ध तरीकों से
लाएगी..यानी 2024-2025 में छात्र
नए पैटर्न मे परीक्षा देंगे...
पुराने ज्ञानवान अध्यापकों के जरिए
अध्यापकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा
संक्षिप्त खबरें खत्म हुई..
अब पिटारा खोलें रचनाओं का...
सबसे पहले पढ़िए 140 वीं जयंती पर विशेष
प्रेमचंद जयंती ...विभारानी श्रीवास्तव
31 जुलाई 2020 प्रेम चंद की 140 वीं जयंती पर - ''लोग अंतिम समय में ईश्वर को याद करते हैं मुझे भी याद दिलाई जाती है। पर मुझे अभी तक ईश्वर को कष्ट देने की आवश्यकता महसूस नहीं हुई।" - मुँशी प्रेमचन्द की पंक्तियों से मैं सदा बेहद प्रभावित रही ,स्वीकार करती हूँ।
उम्मीदों के तारे ..पुरुषोत्तम सिन्हा
चल चलें, उन्हीं पगडंडियों पर,
उसी राह पर,
बुन लें, अधूरे ये सपन,
चुन लें, वक्त के सारे संकुचन!
भर लें, फिर नयन में,
उम्मीदों के तारे!
गंध ....डॉ. राजीव जोशी
"ठीक कह रही हो सरिता तुम! मैं भी यही सोच रहा था, कितने विचार मिलते हैं हमारे एक दूसरे से । मां जी से कह देंगे कि कोई कामवाली नहीं मिल रही है!! दोनों खिलखिला कर हँस पड़े।
जैसा दिखता वैसा होता नहीं ...आशा सक्सेना
लागलपेट नहीं कोई
ना दुराव छिपाव कहीं
झूट प्रपंच से रहता दूर
मन महकता चन्दन सा |
हर बात सत्य नहीं होती
आधुनिकता के इस युग में
जैसा देखता वही सोचता
बड़े काम की खबर ले कर आया है
बूढ़ी हो चुकी
कोई एक सरकार
‘उलूक’
इन्तजार कर आँखों के कुछ और
कमजोर हो लेने का साल पाँच एक तक और
तब तक डाल अच्छी बची खुची सोच का
तेल डाल कर अचार
फिर देखना लाठी लेकर आते हुऐ
जवान कुलपति सत्तर साल के
लगाते नई जमाने की
उच्च शिक्षा का बेड़ा पार ।
...
आज बस
शायद कर फिर
सादर
अरे भाई सच का नमस्कार
खबर तो है बड़ी
स्कूल चलेंगे अब नए ढर्रे पर
अब चलेंगे 5+3+3+4 के अनुसार (हायर सेकेण्डरी तक)
हमारे जमाने मे चले 10+2 +3 (स्नातक स्तर तक)
इससे पहले चले 5+3+3 (ग्यारहवीं तक)
यानी सरकार बदलाव के चरण बद्ध तरीकों से
लाएगी..यानी 2024-2025 में छात्र
नए पैटर्न मे परीक्षा देंगे...
पुराने ज्ञानवान अध्यापकों के जरिए
अध्यापकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा
संक्षिप्त खबरें खत्म हुई..
अब पिटारा खोलें रचनाओं का...
सबसे पहले पढ़िए 140 वीं जयंती पर विशेष
प्रेमचंद जयंती ...विभारानी श्रीवास्तव
31 जुलाई 2020 प्रेम चंद की 140 वीं जयंती पर - ''लोग अंतिम समय में ईश्वर को याद करते हैं मुझे भी याद दिलाई जाती है। पर मुझे अभी तक ईश्वर को कष्ट देने की आवश्यकता महसूस नहीं हुई।" - मुँशी प्रेमचन्द की पंक्तियों से मैं सदा बेहद प्रभावित रही ,स्वीकार करती हूँ।
उम्मीदों के तारे ..पुरुषोत्तम सिन्हा
चल चलें, उन्हीं पगडंडियों पर,
उसी राह पर,
बुन लें, अधूरे ये सपन,
चुन लें, वक्त के सारे संकुचन!
भर लें, फिर नयन में,
उम्मीदों के तारे!
गंध ....डॉ. राजीव जोशी
"ठीक कह रही हो सरिता तुम! मैं भी यही सोच रहा था, कितने विचार मिलते हैं हमारे एक दूसरे से । मां जी से कह देंगे कि कोई कामवाली नहीं मिल रही है!! दोनों खिलखिला कर हँस पड़े।
जैसा दिखता वैसा होता नहीं ...आशा सक्सेना
लागलपेट नहीं कोई
ना दुराव छिपाव कहीं
झूट प्रपंच से रहता दूर
मन महकता चन्दन सा |
हर बात सत्य नहीं होती
आधुनिकता के इस युग में
जैसा देखता वही सोचता
बड़े काम की खबर ले कर आया है
बूढ़ी हो चुकी
कोई एक सरकार
‘उलूक’
इन्तजार कर आँखों के कुछ और
कमजोर हो लेने का साल पाँच एक तक और
तब तक डाल अच्छी बची खुची सोच का
तेल डाल कर अचार
फिर देखना लाठी लेकर आते हुऐ
जवान कुलपति सत्तर साल के
लगाते नई जमाने की
उच्च शिक्षा का बेड़ा पार ।
...
आज बस
शायद कर फिर
सादर
व्वाहहहहह..
ReplyDeleteताजा समाचारों के साथ आज का अंक
सच में लाजवाब है..
सादर...
आभार दिग्विजय जी।
ReplyDeleteहमेशा की तरह प्रभावशाली प्रस्तुति। आभार।
ReplyDeleteसस्नेहाशीष व शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार आपका
ReplyDelete140 वीं जयंती यादगार बनी
साधुवाद
बहुत सुंदर लिखा है सर्
ReplyDeleteवाह ....बहुत सुन्दर लिखा है आपने।
ReplyDeleteउम्दा संकलन आज का |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद सर |
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