सादर अभिवादन
लिखने की अवधि समाप्त
सोचने -समझने का वक्त आ गया
मंगलवार से सावनी चालू
...चलिए बनाए कार्यक्रम कि सावन में
कि करना क्या है..
आज की रचनाओँ की ओर निहारें..
लिखने की अवधि समाप्त
सोचने -समझने का वक्त आ गया
मंगलवार से सावनी चालू
...चलिए बनाए कार्यक्रम कि सावन में
कि करना क्या है..
आज की रचनाओँ की ओर निहारें..
आज जन्मदिन है कवि धन्वा का
एक कवि है
जो कहता है-एक लड़की भागती है तो
यह हमेशा ज़रूरी नहीं है कि
कोई लड़का भी भागा होगा।
जो हिमायती है
मार्च के महीने में
लड़कियों का घर से भाग जाने का।
याद आते हैं
शैशव के वो दिन
कितने प्यारे,
खेला करते
सहेलियों के संग
खेल वो न्यारे
वे पूछते हैं बात-बात पर
क्या आपके खून में
देशभक्ति का नमक है?
प्रमाण दीजिए, मात्रा बताइये
नमक का अनुपात कितना है?
एकदम ठंडा है जनाब
खौलता क्यों नहीं कहिये न
आपके रक्त का ताप कितना है?
रौनक फीकी पड़ गयी, सड़कें भी सुनसान
दो कौड़ी का अब लगे, सुविधा का सामान
सुविधा के साधन सभी, पल भर में बेकार
कैद घरों में जिंदगी, करे प्रकृति वार
किसी को दिल के ज्यादा पास नहीं रखता
मैं समंदर हूँ कभी अधूरी प्यास नहीं रखता
सफर में साथ आओ तो हमेशा याद रखना
मेरे हमराही मैं किसी को खास नहीं रखता
देख तबाही के मंजर को, मन मेरा अकुलाता है।
एक थपेड़े से जीवन यह, तहस नहस हो जाता है ।।
करो नहीं खिलवाड़ कभी भी, पड़ता सबको भारी है।
करो प्रकृति का संरक्षण, कहर अभी भी जारी है ।।
...
आज बस
कल की कल
सादर
...
आज बस
कल की कल
सादर
वाह लाजबाव प्रस्तुति
ReplyDeleteप्रस्तुति अच्छी रही
ReplyDeleteसभी की रचनाएँ बहुत अच्छी है
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ
मेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
ReplyDeleteसुन्दर सार्थक सूत्रों से सजा आज का अंक ! मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार यशोदा जी ! सप्रेम वन्दे !
ReplyDeleteप्रिय यशोदा शामिल करने हेतु धन्यवाद सुन्दर लिंक्स है
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