Monday, July 13, 2020

414 .. त हमहु तोहार मदद फ्री में ना करेम। पांच हजार लागी बोल$ देब$?"

नमस्कार
आज मुझसे कहा नहीं गया था
मैं जबरदस्ती ही आ गई
आई तो आई....पोस्ट लगाकर ही जाऊँगी
देखिए...


अभय ...अनीता दीदी

भयाक्रांत मन विचार नहीं करता 
वह केवल डरता है 
अस्तित्व के साथ एक नहीं होता 
संशय ही भीतर भरता है 


स्टेशन; आधे पर भाई, आधे पर भाऊ ...कुछ अलग सा

यह तो अच्छा है कि स्टेशनों का रख-रखाव भी रेलवे के ही जिम्मे है, नहीं तो पता नहीं आपसी लड़ाई में राजनीति ऐसी धरोहरों का क्या हाल कर के धर देती ! आधे में रौशनी होती, आधे में अंधकार ! आधा रंग-

रोगन से चमकता, तो आधा बेरंगत फटे हाल ! आधे में साफ़-सफाई, तो आधा बदबूदार ! आधे के कर्मचारी उसके, आधे के इसके ! ना आपस में समन्वय, ना कोई भाईचारा ! इस सबके बीच रहता मुसाफिर आफत का मारा !


अभिशाप ना कहो ...सुजाता प्रिय

समझो कभी ना ये कि भार है ये जिंदगी।
ईश्वर का दिया हुआ उपहार है ये जिंदगी।
कभी भी तुम इसको  श्राप   ना कहो।
जिंदगी वरदान है अभिशाप ना कहो।


जहाँ पे जख़्म है ...आनन्द

जहाँ पे जख़्म है मरहम वहीं लगाये मुझे 
जिसे ये इल्म हो अपना वही बताये मुझे

तमाम उम्र हमारी जलन से वाक़िफ़ हो 
उसी को हक़ मिले कि घाट पर जलाये मुझे 


"भोजपुरी में बतिआए के होखे त बोल$ ना त राम-राम"
-श्रीकांत सौरभ

मैंने कहा, "मोतिहारी से बानी त भोजपुरी बोले आवेला कि ना?"

"जी नहीं, मुझे भोजपुरी नहीं आती है। कभी बोला ही नहीं।"

"तनिका परयास कके देखीं। उम्मेद बा बोले लागेम।", ये मेरा जवाब था।

"नहीं सर ये मुमकिन नहीं है। आपको मेरा एप्प प्रोमोट करना है या नहीं। ये बताइए..?"

अब उसकी प्रोफेशनल बतकही मुझे चुभने लगी थी। मैंने झट से कहा, "जब तोहरा मोतिहारी घर होते हुए भी मातृभाषा से जुड़ाव नइखे। त हमहु तोहार मदद फ्री में ना करेम। पांच हजार लागी बोल$ देब$?"
....
बस..
सादर.


3 comments:

  1. व्वाहहहह.....
    घर आने की मनाही कभी नही..
    आभार..
    सादर..

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  2. वाह! बेहतरीन प्रस्तुति।

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  3. वाह ! एक से बढ़कर एक रचनाओं से सजी है सांध्य दैनिक की आज की प्रस्तुति !

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