उत्तर प्रदेश का विकास प्रारम्भ
समाचार विस्तार से....
यूपी एसटीएफ की गाड़ी विकास को लेकर कानपुर आ रही थी। पुलिस के मुताबिक बर्रा के पास अचानक रास्ते में गाड़ी पलट गई। इस हादसे में चार सिपाही घायल हो गए। इसके बावजूद विकास पुलिस के चंगुल से बचकर भागने के फिराक में था। उसने मौका पाकर एसटीएफ के एक अधिकारी की पिस्टल छीनकर भागने की कोशिश की। इसी के बाद मुठभेड़ शुरू हो गई। एसटीएफ ने विकास से हथियार रखकर आत्मसमर्पण करने को कहा। वह इसके बावजूद नहीं माना तो पुलिस को मजबूरन एनकाउंटर करना पड़ा। एनकाउंटर में गोली लगने के बाद हिस्ट्री शीटर विकास दुबे की मौत हो गई।
सारः पुलिस अपने हत्यारों को कभी नहीं छोड़ती
सादर नमस्कार
सीधे चलते हैं रचनाएँ देखें
बुद्धिजीवी ...श्वेता सिन्हा
विवश हैं ...
चाहकर भी
गा नहीं सकते प्रेम गीत,
अपने द्वारा रचे गये
आभा-मंडल के
वलय से बाहर निकलने पर
निस्तेज हो जाने से
भयभीत भी शायद...।
शहर सयाने ....डॉ. सुरंगमा यादव
शहर हो गए हैं बड़े ही सयाने
मिलेंगे ना तुमको यहाँ पर ठिकाने
फटी हैं बिवाई, पड़े कितने छाले
सिकुड़ती हैं आँतें, मिले ना निवाले
परछाई छिपने लगी ...अशोक कुमार रक्ताले
गहराया है सांझ का, रंग पुनः वह लाल।
सम्मुख काली रात है, और वक्त विकराल।।
मजबूरी अभिशाप बन, ले आती है साथ।
निर्लजता के पार्श्व में, फैले दोनों हाथ।।
परबचन गीत ...विभा रानी श्रीवास्तव
थमे राह लो परंजय उँगली थमाया
क्यों झट गर्दन दबोचने नहीं दिया
चीखतें छल की दिवस-रात है आई
आत्ममुग्धता समझ में घात है आई।
अपनी - अपनी हकीक़त ....अपर्णा वाजपेई
तुझे इसे रोटी देने के लिए कहा था या साथ में बैठकर खिलाने के लिए। ए लड़के रोटी उठा और निकल घर के बाहर....
कहां कहां से आ जाते हैं..
सारी सहानुभूति एक मिनट में गायब!
उनका बेटा भी उसके साथ चल दिया...
मानो दोनो दोस्त बहुत दिन बाद मिल रहे हों।
...
आज इतना ही
सादर
समाचार विस्तार से....
यूपी एसटीएफ की गाड़ी विकास को लेकर कानपुर आ रही थी। पुलिस के मुताबिक बर्रा के पास अचानक रास्ते में गाड़ी पलट गई। इस हादसे में चार सिपाही घायल हो गए। इसके बावजूद विकास पुलिस के चंगुल से बचकर भागने के फिराक में था। उसने मौका पाकर एसटीएफ के एक अधिकारी की पिस्टल छीनकर भागने की कोशिश की। इसी के बाद मुठभेड़ शुरू हो गई। एसटीएफ ने विकास से हथियार रखकर आत्मसमर्पण करने को कहा। वह इसके बावजूद नहीं माना तो पुलिस को मजबूरन एनकाउंटर करना पड़ा। एनकाउंटर में गोली लगने के बाद हिस्ट्री शीटर विकास दुबे की मौत हो गई।
सारः पुलिस अपने हत्यारों को कभी नहीं छोड़ती
सादर नमस्कार
सीधे चलते हैं रचनाएँ देखें
बुद्धिजीवी ...श्वेता सिन्हा
विवश हैं ...
चाहकर भी
गा नहीं सकते प्रेम गीत,
अपने द्वारा रचे गये
आभा-मंडल के
वलय से बाहर निकलने पर
निस्तेज हो जाने से
भयभीत भी शायद...।
शहर सयाने ....डॉ. सुरंगमा यादव
शहर हो गए हैं बड़े ही सयाने
मिलेंगे ना तुमको यहाँ पर ठिकाने
फटी हैं बिवाई, पड़े कितने छाले
सिकुड़ती हैं आँतें, मिले ना निवाले
परछाई छिपने लगी ...अशोक कुमार रक्ताले
गहराया है सांझ का, रंग पुनः वह लाल।
सम्मुख काली रात है, और वक्त विकराल।।
मजबूरी अभिशाप बन, ले आती है साथ।
निर्लजता के पार्श्व में, फैले दोनों हाथ।।
परबचन गीत ...विभा रानी श्रीवास्तव
थमे राह लो परंजय उँगली थमाया
क्यों झट गर्दन दबोचने नहीं दिया
चीखतें छल की दिवस-रात है आई
आत्ममुग्धता समझ में घात है आई।
अपनी - अपनी हकीक़त ....अपर्णा वाजपेई
तुझे इसे रोटी देने के लिए कहा था या साथ में बैठकर खिलाने के लिए। ए लड़के रोटी उठा और निकल घर के बाहर....
कहां कहां से आ जाते हैं..
सारी सहानुभूति एक मिनट में गायब!
उनका बेटा भी उसके साथ चल दिया...
मानो दोनो दोस्त बहुत दिन बाद मिल रहे हों।
...
आज इतना ही
सादर
हमारी रचना को स्थान देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय ।
ReplyDeleteसस्नेहाशीष व असीम शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार छोटी बहना
ReplyDeleteसारः पुलिस अपने हत्यारों को कभी नहीं छोड़ती
–बस इतनी सी बात होती तो...
लिंक्स का सुंदर संकलन
'अपनी अपनी फितरत' अपर्णा बाजपेई द्वारा रचित है रोली अभिलाषा द्वारा नहीं, कृपया अपेक्षित सुधार कर लें।
ReplyDeleteसादर
सही कहा, पुलिस अपने हत्यारों को कभी नहीं छोड़ती, गाड़ी पलटी कोई, दिखाई कोई
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