बरसों पहले
मैं इस उत्सव की दीवानी थी
पर अब नफरत सी हो गई है
सड़कों पर सूवर और कुत्ते घूमते हैं
सादर वन्दे....
आज होलिका दहन है
कल हुड़दंग है...
पूर्णिमा की फागुनी को
है प्रतीक्षा बालियों की
जब फसल रूठी खड़ी है
आस कैसे थालियों की
होलिका बैठी उदासी
ढूँढती वो गीत अनुपम।।
यादें बचपन की...
बचपन की मधुर स्मृतियों में
एक बहुमूल्य स्मृति है
अपने गाँव औरन्ध (जिला मैनपुरी) की
होली के हुड़दंग की।
जहाँ पूरा गाँव सिर्फ
चौहान राजपूतों का ही
होने के कारण सभी
परस्पर रिश्तों में ही बँधे थे
इसी कारण एकता और
सौहार्द्र की मिसाल था हमारा गाँव ।
ठंडी सी आईसक्रीम गर्म रिश्तों में।
कुछ फिरकी भी लीजिए
बच्चों की
बच्चों से पूछिये अटपटे से सवाल।
कुछ बुजुर्गो को गले लगाईये
अक्सर चीखने वालों को देख
मुस्कुराईये
न तराश सब को अपने मूल्यों के छेनियों
से, कुछ पत्थर हैं, जो समय को भी
रोक लेते हैं अपनी जगह किसी
चुम्बक की तरह, रहने दे
मुझे यूँ ही उपेक्षित
माटी में सना,
किसी एक
दिन
आया अब मधुमास है, बीत गया है शीत ।
होली मनभावन लगे, चंग बजाए मीत ।
चंग बजाए मीत, गीत मोहक से गाना ।
घर लौटे हैं कंत, सजा है सुंदर बाना ।
जगा कुसुम अनुराग, प्रीत का उत्सव लाया ।
नाचो गाओ आज, रंग ले मौसम आया ।।
उड़े जो रंग कहीं, तू ही तू, नजर आए,
हजार ख्वाब कहीं, बन के यूँ, उभर आए!
.....
आज बस
कल का भरोसा क्या
सादर
आज बस
कल का भरोसा क्या
सादर
होली की पूर्व संध्या पर, आज का अंक जरा पहले ही आ गया। कोई आश्चर्य नहीं .... होली है...
ReplyDeleteहोलिका दहन की हार्दिक शुभकामनाएँ ...
दिव्या जी आभार...। सुंदर अंक के लिए बधाई...। सभी रचनाकारों को बधाई...। होली की शुभकामनाएं...
ReplyDeleteहोली की पूर्व संध्या पर बहुत सुन्दर संकलन...सभी को होली की बहुत शुभकामनाएँ
ReplyDeleteहोली के अवसर पर सुंदर रंगबिरंगे अंक के लिए हार्दिक शुभकामनाएं दिव्या जी,सभी रचनाकारों को होली की हार्दिक शुभकामनाएं एवम बधाई ।
ReplyDeleteबेहतरीन संकलन
ReplyDeleteमेरी रचना को स्थान देने के लिये हार्दिक आभार
सप्तरंगी भावनाओं से अलंकृत मुखरित मौन जैसे स्वप्निल जाल बिखेरता सा - - असंख्य आभार आदरणीया दिव्या जी, नमन सह। होली की शुभकामनाएं।
ReplyDeleteवाह , एक से बढ़ कर एक लिंक्स मिले ... बढ़िया प्रस्तुति ....
ReplyDeleteसभी को होली की हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteबहुत सुंदर, होली की शुभकामनाएं
ReplyDelete