विश्व कविता दिवस आज
प्रत्येक वर्ष विश्व स्तर पर 21 मार्च को विश्व कविता दिवस के रूप में मनाया जाता है।
हर साल काव्य अभिव्यक्ति के माध्यम से भाषाई विविधता को बढ़ावा देने और
लुप्तप्राय भाषाओं को समुदायों के बीच सुनने का अवसर प्रदान करने के लिए
विश्व कविता दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य कविता की मौखिक परंपरा को
फिर से शुरू करने को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ कविता को पढाए जाने को
प्रोत्साहित करने सहित कविता और अन्य कलाओं जैसे कि रंगमंच, नृत्य,
संगीत और चित्रकला के बीच संवाद के दौर को पुनः लाना है।
संगीत और चित्रकला के बीच संवाद के दौर को पुनः लाना है।
संयुक्त राष्ट्र के शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को)
ने साल1999 में पेरिस में आयोजित किए गए 30 वें सत्र के दौरान
21 मार्च को विश्व कविता दिवस के रूप में मान्यता दी थी।
ने साल1999 में पेरिस में आयोजित किए गए 30 वें सत्र के दौरान
21 मार्च को विश्व कविता दिवस के रूप में मान्यता दी थी।
विश्व कविता दिवस पर कुछ चुनिंदा कविताएं
कहते हैं,
एक शायर जिससे इश्क करता है,
वो कभी नहीं मरता.
तो आज
आप भी डूब कर देखें,
प्रेम में,
कविता में.
.....
अपना दिल पेश करूं,
अपनी वफा पेश करूं
कुछ समझ में नहीं आता
तुझे क्या पेश करुं
जो तेरे दिल को
लुभाए वो अदा
मुझ में नहीं
क्यों न तुझको
कोई तेरी ही
अदा पेश करुं
-साहिर लुधियानवी
भावों की जननी मैं, मां थी, मैं थी रंग तिरंगे का
जन-जन की आवाज भी थी, स्वर थी भूखे नंगों का
फिर क्यों एक पराई सी मैं, यों देहरी के बाहर खड़ी
इतने लालों की माई मैं, क्यों इतनी असहाय पड़ी...
“वह तोड़ती पत्थर;
देखा मैंने उसे इलाहाबाद के पथ पर-
वह तोड़ती पत्थर……
……… चढ़ रही थी धूप;
गर्मियों के दिन,
दिवा का तमतमाता रूप;
उठी झुलसाती हुई लू
रुई ज्यों जलती हुई भू,
गर्द चिनगीं छा गई,
प्रायः हुई दुपहर :-
वह तोड़ती पत्थर…….
स्पंदन में चिर निस्पंद बसा,
क्रन्दन में आहत विश्व हंसा,
नयनों में दीपक से जलते,
पलकों में निर्झरिणी मचली!
मेरा पग-पग संगीत भरा,
श्वासों में स्वप्न पराग झरा,
नभ के नव रंग बुनते दुकूल,
छाया में मलय बयार पली,
बालकवि मनस्वी प्राजंल ...
नवोदित कवि स्कूल में है अभी
इस रचना को पढ़कर
इसके भविष्य का अनुमान
सहज ही हो जाता है
जोड़कर
बनाती अपना घोंसला,
फिर,
आता है एक चूजा,
जिसे नहीं आता है
उड़ना,
फिर धीरे धीरे
वह सीखता है
उड़ना,
अपनी माँ से।
....
आज बस और विस्तार दूंगी तो
समय पर अंक नहीं दे पाऊँगी
चांवल के दो दाने देखकर अनुमान लगाइए
कि चांवल तैय्यार है
सूचित किसी को नहीं की हूँ
आज के इस अंक का उद्देश्य
मात्र पठन-पाठन है
सूचित किसी को नहीं की हूँ
आज के इस अंक का उद्देश्य
मात्र पठन-पाठन है
सादर
बेहतरीन अंक..
ReplyDeleteचुनिंदा रचनाऐं
साहिर साहब की पंक्तियां याद हो गई
आभार..
सादर...
शाब्बाश मीठी बिटिया
ReplyDeleteविश्व कविता दिवस की कतार में प्रवेश हेतु
शुभकामनाएं..
सादर..