शुक्रवार को हमारे परिवार का मुख्यपृष्ठ
पाँच लिंकों का आनन्द सचमुच
आनन्दित कर गया...आदरणीय दीदी भूली कुछ भी नही
अपितु हम ही सारा कुछ भूल गए...
फेसबुक में मगन हम सच में अपना मन ही खो दिया
कमेंट और लाईक का चक्कर किसे लाईक कर रहे है ये
देखते भी नहीं....
सादर नमस्कार स्वीकारे
हम हैं पिटारा लेकर
देखिए क्या है....
महान देश की महान सबलाएं कही गईं अबलाएं
विस्तृत विवरण पढ़िए
महिलाओं बला-बल की
सटीक व्याख्या करती ग़ज़ल
डॉ. शरद सिंह की कलम द्वारा प्रसवित..
सटीक व्याख्या करती ग़ज़ल
डॉ. शरद सिंह की कलम द्वारा प्रसवित..
मनीषा गोस्वामी पहली बार इस ब्लॉग में
अपनी स्वतंत्रता को मुखर कर
समाज के आईना दिखाते
उनकी (कु) महिमा को उजागर करती
समाज के आईना दिखाते
उनकी (कु) महिमा को उजागर करती
अपने आप को आम कहने वाले भाई पुरुषोत्तम
की रचना..महिलाओं के बारे में कहते है..
जग जाएगी जब, सुसुप्त चेतना,
उत्थान, उसी दिन होगा तेरा,
विधाता की, रचनाओं में, मनोहर तुम
मर्मस्पर्शी भाव लिए कम से भी कमतर शब्दों में सबकुछ कह देना हुनर है।
सिर नीचे कर पलकें झुकाना ही सर पर पल्लू डालना होता है..
शब्द एक भी नहीं और भाव भी निखर गए ,,,
शब्द एक भी नहीं और भाव भी निखर गए ,,,
रचना है किरचें मन की ..आभार संगीती दीदी को
.....
बस..
लिखने के लिए पढ़ना पड़ता है
पचास पढ़ो को कहीं एक रचना
.....
बस..
लिखने के लिए पढ़ना पड़ता है
पचास पढ़ो को कहीं एक रचना
का मात्र कुछ पंक्ति हा बाहर आती है
बेहतरीन अंक
ReplyDeleteहम सुधरेंगे
हमारी कलम सुधरेगी
सादर..
आभार..
दिग्विजय अग्रवाल जी,
ReplyDelete"सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" मेरी ग़ज़ल को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार एवं धन्यवाद 🌹🙏🌹
- डॉ शरद सिंह
सभी रचनाएं रोचक एवं पठनीय हैं, इन्हें संजोने के लिए आपको साधुवाद 🌹🙏🌹
ReplyDeleteयशोदा ,
ReplyDeleteइतना मान दे कर मुझे अनुगृहीत कर दिया है । बहुत आभार । मेरी लिखी छोटी सी नज़्म भी यहां है । अच्छा लगा ।
सादर नमन दीदी
Deleteआभार..
सादर।..
दिग्विजय जी आपको जमाई हैं
Deleteसादर
आदरणीय दिग्विजय अग्रवाल जी, नमस्कार !
ReplyDeleteसुंदर सारगर्भित लिंक्स के साथ अपनी रचना देखकर मन पुलकित हो गया.. महिला दिवस के अवसर पर ये मेरे लिए पुरस्कार के समान है,आपको मेरा सादर नमन..
सुन्दर और सार्थक लिंक संकलन के लिए आपको बधाई। सादर ।
ReplyDeleteसुंदर और सार्थक संकलन ! बधाई
ReplyDeleteसुंदर अंक।
ReplyDelete