सादर अभिवादन
आनेवाला है
तीन सौ पैंसठवाँ दिन
इस दिन हमारे नाम के
कशीदे काढ़े जाएँगे
उदाहरण दिए जाएंगे कि
हम क्या नहीं कर सकते
रेल चला सकते हैं...जहाज भी
उड़ा सकते है..और तो और
विदेश मे जाकर
उपराष्ट्रपति भी बन सकते हैं
उपरोक्त चंद पंक्तियां आपके लिए
रचनाएँ देखिए...
बीच-बीच में प्रश्न भी उछालती जाऊँगी
उजाला,अंधेरा,
हरियाली,मरूभूमि, पहाड़,
सागर,सरिता,चिड़िया,चींटी
तितली,मौसम जैसी अनगिनत
रंगों की अद्भुत चित्रात्मक
कृतियों की तरह ही
सृष्टि ने
मुझको भी दी है
धरती की नागरिकता
अपने अधिकारों के
भावनात्मक पिंजरे में
फड़फड़ाती
......
क्या किसी ने ऐसे लोशन के बारे में सुना है
जिसे चेहरे पर लगा लो तो एसिड का असर नहीं होता
......
क्या किसी ने ऐसे लोशन के बारे में सुना है
जिसे चेहरे पर लगा लो तो एसिड का असर नहीं होता
माँ के बक्से में रक्खी हुई चिट्ठियाँ
लाल कपड़े में लिपटी हुई चिट्ठियाँ
कौन, क्यूं, किसको, कब, क्या, हुआ है यहाँ
नीली स्याही से रच रच लिखीं चिट्ठियाँ
पोस्टकार्ड भी है और लिफाफा भी है
अंतर्देशी में सुख दुख भरी चिट्ठियाँ
.....
सुना है ईश्वर ने नारी जाति का त्वचा
को फायर प्रूफ बनाने का निर्णय लिया है
सुना है ईश्वर ने नारी जाति का त्वचा
को फायर प्रूफ बनाने का निर्णय लिया है
"सभी अपना-अपना काम करें..इधर-उधर तांका-झांकी
नहीं ।"-- परीक्षा-कक्ष में पहुँचते ही प्राध्यापक विनय ने आवश्यक कार्यो की पूर्ति करते हुए परीक्षार्थियों को निर्देश दिया ।
घंटे भर बाद किसी परीक्षार्थी ने पूरक उत्तर-पुस्तिका की मांग
की । विनय की पीठ जैसे ही परीक्षार्थियों की तरफ हुई ,
......
शिक्षा के नए सत्र से..बालिकाओं के लिए
पहली कक्षा से जूडो-कराटे की
की ट्रेनिग देने की व्यवस्था की है
पहली कक्षा से जूडो-कराटे की
की ट्रेनिग देने की व्यवस्था की है
दरक गया है
इस कदर दिल
कि ऐ ज़िन्दगी
बता कैसे मैं
तेरा ऐतबार करूँ ?
...
प्रश्न नए और भी हैं आपके मन में
सोचें और बाहर निकालें
प्रश्न नए और भी हैं आपके मन में
सोचें और बाहर निकालें
नव जीवन में जगना चाहे
मन सुमन बना खिलना चाहे
जो पल में जिए इबादत है !
मृत को क्यों ‘अब’ में ढोएं हम
नित नवल निशा में सोएं हम
रहे संग सदा विरासत है !
.....
मन के प्रश्नों को बाहर निकालें
और एक रचना लिख डालें
तीन सौ चौसठवें दिन
अपने ब्लॉग में लिक्खें और..
बता दें हम कशीदे पढ़ने के लिए नहीं बनी
लोहा लेने की ताकत और औकात है हममें
मन के प्रश्नों को बाहर निकालें
और एक रचना लिख डालें
तीन सौ चौसठवें दिन
अपने ब्लॉग में लिक्खें और..
बता दें हम कशीदे पढ़ने के लिए नहीं बनी
लोहा लेने की ताकत और औकात है हममें
अंत में इतना ही कहना चाहती हूं कि,
चाहे मैं रहूं या न रहूं, ये लिखा हुआ मेरा रहेगा...
जब-जब पढेंगे लोग मुझे, मैं याद उन्हें आ जाउंगी!!
......
बस आज इतना है
सादर
......
बस आज इतना है
सादर
बहुत सुन्दर लेखन और रचनाएं , अलग अलग रंग से सजा हुआ, मन सुमन बना खिलना चाहे..जो पल में जिए इबादत है
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteयशोदा दी, आपने जो सवाल पूछे है, जैसे कि
ReplyDeleteक्या किसी ने ऐसे लोशन के बारे में सुना है
जिसे चेहरे पर लगा लो तो एसिड का असर नहीं होता
ऐसे किसी लोशन के बारे में मुझे तो जानकारी नही है। क्या एस्प जानती है
मेरी रचना को शामिल करने के लिए धन्यवाद।
ReplyDeleteआदरणीय यशोदा जी, आपके आज के सुसज्जित अंक में, प्रश्नों की फुलखड़ियों रूपी नया आयाम देखकर बहुत अच्छा ,आपका सुझाव भी बहुत अच्छा है, प्रयास करने की कोशिश होगी..सुंदर अंक के लिए हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई..सादर नमन..
ReplyDeleteमेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय से आभार .. जिज्ञासा सिंह..
ReplyDeleteबहुत सुंदर संकलन । अब कुछ और प्रश्नों के बारे में सोचना ही होगा । शुक्रिया ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर संकलन । सभी चयनित रचनाएँ बेहतरीन हैं । मेरे सृजन को साझा करने हेतु सादर आभार ।
ReplyDeleteमहिल्स दिवस के लिए सुंदर आवाहन, नारी शक्ति को किन्हीं कशीदों की जरूरत नहीं है, वे स्वंय ही शक्तिस्वरूपा हैँ। बेहतरीन रचनाओं का चयन, आभार !!
ReplyDeleteरहूं या न रहूं मैं......!
ReplyDeleteकुछ तो निशानी छोड फिर दुनिया से डोल
सभी लिंक्स अच्छे ज्ञानवर्धक और मनोरंजक
ReplyDeleteसभी लिकन्स अच्छे
ReplyDeleteसभी लिंक्स खूबसूरत और मनोरंजक।
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