સ્ત્રીની વેદના.....
પહેલા પિતા, ભાઈ, પતિ અને દીકરો….
હે ઈશ્વર,
મારી વેદના તને ન કહું તો કોને કહું…!!!?
एक महिला की वेदना
पहले पिता, भाई, पति और बेटे।
हाय भगवान
अगर मैं आपको अपना दर्द नहीं बताऊँ,
तो मुझे किसे बताना चाहिए?
.....
एक बालिका द्वारा सुनाई गई कविता
सादर वन्दे
अपने ही बारे में लिखना बड़ा ही कष्टप्रद होता है
लोग कहते हैं कि मैं अपना दुखड़ा रो रही हूँ
आज प्रस्तुत हैं मात्र दो पंक्तियों के साथ लिंक..
एक नवप्रवेश है इस ब्लॉग में उत्तराखंण्ड से
इनके ब्लॉाग की पहली व एक मात्र प्रस्तुति है
शुभारम्भ दिवस पर शुभकामनाएँ
इनके ब्लॉाग की पहली व एक मात्र प्रस्तुति है
शुभारम्भ दिवस पर शुभकामनाएँ
तेरे हर पहलू को समझे
किसी प्राणी मात्र मे इतना ना ज्ञान है
स्त्री तुझे शत शत नमन और
तेरे हर रूप को मेरा प्रणाम है
कौन दिखे ये अल्हड़ किशोरी सी?
सृजक की अनुपम रचना
तुझ बिन सूना जग का आँगन ,
सृजक की अनुपम रचना
तुझ बिन सूना जग का आँगन ,
हुलसती, लहराती बढ़ती
नवयौवना , चंचल , चपला,
उमंग भरी , प्रीतम अभिलाषी
रूप तुम्हारा खूब खिला ,
नवयौवना , चंचल , चपला,
उमंग भरी , प्रीतम अभिलाषी
रूप तुम्हारा खूब खिला ,
पीयूष स्रोत सी बहा करो जीवन के सुन्दर समतल में।“
“यत्र नार्यस्तु पूज्यते, रमन्ते तत्र देवता“
“यत्र नार्यस्तु पूज्यते, रमन्ते तत्र देवता“
“तुम विश्व की पालनी शक्ति धारिता हो,
हर दिन तलाशती अपना आधार
मैं भोग्या वस्तु नही, खिलौना नहीं
हर दिन तलाशती अपना आधार
मैं भोग्या वस्तु नही, खिलौना नहीं
चौखट से बँधी नारी ...जिज्ञासा सिंह
महिलाओं को समर्पित एक दिन !
अपने हक़ के लिए जागरूक होने का दिन. पर सोचने की बात है कि
महिलाओं को समर्पित एक दिन !
अपने हक़ के लिए जागरूक होने का दिन. पर सोचने की बात है कि
क्या संसार का यह आधा भाग इतना कमजोर है कि उस पर किसी
विलुप्त होती नस्ल की तरह भी ध्यान नहीं दिया पेट में ही मार दिया
विलुप्त होती नस्ल की तरह भी ध्यान नहीं दिया पेट में ही मार दिया
आभार दिबू
ReplyDeleteएक महिला की वेदना
पहले पिता, भाई, पति और बेटे।
हाय भगवान
अगर मैं आपको अपना दर्द नहीं बताऊँ,
तो मुझे किसे बताना चाहिए?
सादर..
बहुत अच्छी सांध्य दैनिक मुखरित मौन प्रस्तुति में मेरी ब्लॉग पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!
ReplyDeleteमहिला शक्ति को समर्पित सुंदर संकलन के लिए बहुत आभार प्रिय दिव्या जी ..मेरी रचना को शामिल करने के लिए बहुत शुक्रिया एवम महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं..
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार प्रिय दिव्या , महिला शक्ति को समर्पित इस सुंदर संयोजन के लिए | मेरी दो पुरानी रचनाओं को इस संकलन का हिस्सा बनाने के लिए शुक्रिया , आभार | सभी सखियों से विनम्र आग्रह है कि नारी अस्मिता पर लेखन तभी सार्थक है जब वे अपनी सखियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी हों | सभी को महिला दिवस की शुभकामनाएं और बधाई |
ReplyDeleteप्रिय दिव्या कृपया संकलन में मेरी रचनाओं के साथ मेरा नाम सही कर दें | मेरे नाम के साथ लिखा शांडिल्य हटा दें | हार्दिक स्नेह के साथ -
ReplyDeleteकनफ्यूज तो में भी थी
Deleteहटा दी हूँ
नन्ही बिटिया की कविता बहुत ही भावुक करने वाली है | आग्रह है सभी सुनें |
ReplyDeleteमहिला शक्ति को समर्पित सुंदर लिंक्स, दिव्या दी।
ReplyDeleteसुंदर संकलन । नारी के प्रति अलग अलग सोच लिए सुंदर रचनाएँ पढ़ने को मिली ।प्रिय रेणु की दो कविताएँ ,जिज्ञासा की लिखी बहुत सहज से भावों से ओत प्रोत रचना । हरीश जी की भी रचना बहुत सुंदर थी ।बस एक प्रश्न मन में कौंधा तो पूछा है वहाँ अपनी अज्ञानता को दूर करने के लिए । कविता जी को पढ़ना सदैव ही अच्छा और सुखद लगा है ।
ReplyDeleteइस संकलन के लिए शुक्रिया ।