सादर अभिवादन
लगता है मैं लिखना और सोचना भूल रही हूँ
मंथन करना पड़ेगा
आज का अंक देखिए..
मीना जी ने अपनी कलम से अपनी आज के दौर की प्रति
हताशा को अपनी नयन-जल से व्यक्त किया है
भाई शान्तनु जी की कलम ने प्रकृति के बदलाव की व्यथा पर
खूबसूरती से कुठाराघात किया है
खूबसूरती से कुठाराघात किया है
हम महिलाओं को एक दूजे का साथ जरूरी है,
इसी आशा के साथ महिला दिवस की शुभकामनाएँ प्रेषित की है ...
आदरणीया ज्योति दीदी को भी शुभकामनाएँ
इसी आशा के साथ महिला दिवस की शुभकामनाएँ प्रेषित की है ...
आदरणीया ज्योति दीदी को भी शुभकामनाएँ
भिक्षुकों की शराबखोरी को बढ़ावा देती लघुकथा
आदरणीय सखी सुधा सिंह व्याघ्र का शानदार अवलोकन
आज बस इतना ही
सादर
सादर
एक शानदार अंक
ReplyDeleteसादर..
बेहतरीन संकलन । अनूठी प्रस्तुति में सृजन को साझा करने के लिए सादर आभार यशोदा जी ।
ReplyDeleteइन चर्चाओं से नए बलॉस तक पहुँचना आसान हो जाता है ।शुक्रिया ।
ReplyDeleteसादर नमन दीदी
Deleteसीखने की अनहद कोशिश..
आभार..
बहुत अच्छा संकलन प्रिय यशोदा जी 🙏
ReplyDeleteआभार..
Deleteनई शुरुआत आज अभी से
ReplyDeleteअच्छी शुरुआत है।
बढ़िया लिंक्स।
गुजरे वक़्त में से...
आभार भाई रोहिताश्व जी
Deleteमार्गदर्शन की आकांक्षा
सादर
मुग्ध करता हुआ मुखरित मौन, मुझे शामिल करने हेतु असंख्य आभार आदरणीया - - नमन सह।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
ReplyDeleteवाह लाजवाब प्रस्तुति, हार्दिक आभार , सभी रचनाकारों को बधाई हो , सादर नमन यशोदा दी, शुक्रिया
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