Friday, March 5, 2021

650..कुछ बदलाव की भरसक कोशिश

सादर अभिवादन
लगता है मैं लिखना और सोचना भूल रही हूँ
मंथन करना पड़ेगा
आज का अंक देखिए..

मीना जी ने अपनी कलम से अपनी आज के दौर की प्रति 
हताशा को अपनी नयन-जल से व्यक्त किया है


भाई शान्तनु जी की कलम ने  प्रकृति के बदलाव की व्यथा पर
खूबसूरती से  कुठाराघात किया है




हम महिलाओं को एक दूजे का साथ जरूरी है,
इसी आशा के साथ महिला दिवस की शुभकामनाएँ प्रेषित की है ...
आदरणीया ज्योति दीदी को भी शुभकामनाएँ


भिक्षुकों की शराबखोरी को बढ़ावा देती लघुकथा
आदरणीय सखी सुधा सिंह व्याघ्र का शानदार अवलोकन

आज बस इतना ही
सादर


11 comments:

  1. एक शानदार अंक
    सादर..

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  2. बेहतरीन संकलन । अनूठी प्रस्तुति में सृजन को साझा करने के लिए सादर आभार यशोदा जी ।

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  3. इन चर्चाओं से नए बलॉस तक पहुँचना आसान हो जाता है ।शुक्रिया ।

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    1. सादर नमन दीदी
      सीखने की अनहद कोशिश..
      आभार..

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  4. बहुत अच्छा संकलन प्रिय यशोदा जी 🙏

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  5. नई शुरुआत आज अभी से
    अच्छी शुरुआत है।
    बढ़िया लिंक्स।
    गुजरे वक़्त में से...

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    1. आभार भाई रोहिताश्व जी
      मार्गदर्शन की आकांक्षा
      सादर

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  6. मुग्ध करता हुआ मुखरित मौन, मुझे शामिल करने हेतु असंख्य आभार आदरणीया - - नमन सह।

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  7. वाह लाजवाब प्रस्तुति, हार्दिक आभार , सभी रचनाकारों को बधाई हो , सादर नमन यशोदा दी, शुक्रिया

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