सादर अभिवादन
आज की शुरुआत
गुलज़ार की इन पंक्तियों के साथ
ना राज़ है... "ज़िन्दगी",
ना नाराज़ है... "ज़िन्दगी"
बस जो है, वो आज है, ज़िन्दगी!
जीवन की किताबों पर,
बेशक नया कवर चढ़ाइये;
पर...बिखरे पन्नों को,
पहले प्यार से चिपकाइये !!
-गुलजार
ऐ कंचन के वृक्ष !
तू क्यों नहीं खिलता
क्या इस दुनिया से तेरा दिल नहीं मिलता
तेरे ही साथ जन्मा हरसिंगार अब तक
हजारों फूल खिला चुका
तू न खिलने के कारण अपनी टहनियाँ
कई बार कटवा चुका
खुशियों के सिक्के चंद बनूं
जी भर भर के लुट जाऊं मैं
हर हुक्म की बस तामील करूं
जादुई जिन्न बन जाऊं मैं
मैं मोह और मायाजाल मैं ही
तेरा मोक्ष भी बन जाऊं मैं
इर्ष्या द्वेष और छल कपट से भरा हुआ है डगर तेरा
कांधे चार दो गज ज़मीं श्मशान ही अंतिम सफर तेरा
फिर क्यों खुद को तू अपनों से अलग-थलग रहा है कर
मृत्यु तो शाश्वत सत्य है फिर किस बात से तू रहा है डर
मौत के बाद भी मुझको बुलाया, आँऊगा।
जो दिल में छुपा कर राज जहां से जाऊँगा....
उस हरिक राज से तब.... परदा हटाऊँगा।
सोचोगे क्यूँ जीवन-भर छुपाया था ये मैनें,
मुझे डर था कहीं तुम राह में ना छोड़ जाओ
जीते जी जुदाई मैं......... ना सह पाऊँगा।
क्या आप चाहते है कि ऐसे पापड़ बनाएं जो बेलना भी न पड़े और
उसमें सोड़ा या फुलखार भी न डला हो, फ़िर भी वे स्वादिष्ट बने?
तो आइए, आज हम ऐसे ही सूजी के पापड़ बनायेंगे
जिन्हें बेलना नहीं पड़ता है और उनमें सोड़ा या
फुलखार कुछ नहीं डालना पडता। मतलब
मेहनत भी कम और सोड़ा न होने से
सेहत के लिए भी अच्छे। है न दोगुना फायदा!!
इस सबके बाद भी पूना बेस्ड सीरम इन्स्टीट्यूट ऑफ़ इण्डिया निर्मित
भारतीय वैक्सीन कोवीशील्ड पाकिस्तान को ख़ैरात में
अंततः मिल ही गयी । कोवीशील्ड के सोलह मिलियन डोज़
भारत ने ख़ैरात में दिये हैं और शेष उन्तीस मिलियन डोज़
“ग्लोबल अलायंस फ़ॉर वैक्सींस एण्ड इम्म्यूनाइज़ेशन” (गावी)
की ओर से ख़रीदकर पाकिस्तान को ख़ैरात में दिया जाना तय हुआ है ।
सुना गया है कि भारत से वैक्सीन ख़रीदकर पाकिस्तान को ख़ैरात देने की
मेहरबानी अमेरिका द्वारा की जा रही है ।
ख़ैरात का इंसानियत से बड़ा गहरा नाता है
जिसे पाकिस्तान से अधिक भारत के लोग समझते हैं ।
आज रचनाएं अधिक ही है
झेल लीजिएगा
सादर
शुक्रिया..
ReplyDeleteहम वेक्सीन लगवाने गए थे
आपने मेरी पर्ची को महत्व दिया
सुंदर रचनाएँ चुन लाई..
सादर
सभी लिंक्स बेहतरीन । बस एक समस्या की हर लिंक पर साबित करना पड़ा कि मैं रोबोट नहीं ।
ReplyDeleteब्लॉगर्स से निवेदन की कमेंट्स की इस सेटिंग को बदल दें। बहुत समय लग जाता टिप्पणी करने में।
शुक्रिया
बढ़िया अंक प्रिय दिव्या अग्रवाल जी 🙏
ReplyDeleteवाह ! पठनीय रचनाओं का संकलन, संगीता जी, क्या मेरे ब्लॉग पर भी ऐसी बात है कि सिद्द करना पड़े, होना तो नहीं चाहिए। आभार दिव्या जी !
ReplyDeleteआपके ब्लॉग मे नहीं है
Deleteये अक्सर उसमें होता है
जिस में कमेंटबाक्स अलग से खुलता है
सादर
मेरी रचना को सांध्य दैनिक मुखरित मौन में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, दिव्या दी।
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