तीज निपट गई
घर पर सभी नींद के नशे में हैं
अलबत्ता बच्चे सारे शैतानियों में व्यस्त हैं
मिट्टी के गणेश बनाए जा रहे हैं
जय श्री गणेश
सिलसिला प्रारम्भ...
आज की रचनाएँ....
घर पर सभी नींद के नशे में हैं
अलबत्ता बच्चे सारे शैतानियों में व्यस्त हैं
मिट्टी के गणेश बनाए जा रहे हैं
जय श्री गणेश
सिलसिला प्रारम्भ...
आज की रचनाएँ....
शब्द चुभे हिय में नश्तर से
नयनों से लहू टपकता था
पतझड़े पेड़ सा खालीपन
मन सूनेपन से उचटता था
कष्ट हँसे जब पुष्प चुभोये
कण्टक की बरसात हुई
काटे से ना कटती थी वो
ऐसी भयावह रात हुई
कोरोना आपदा काल में
बहुत कुछ बदला है...
इन्सान के जीने का ढंग
सोचने समझने का नजरिया
अनुकूल पर्यावरण और
प्रतिकूल भुगतान संतुलन
साथ ही सीखा दी है...
विकट परिस्थितियों से
उबरने की अद्भुत ताकत
गाँव जवार हमरा भूलल ना भुलावे ला,
गऊवें के हावा पानी शहर तक आवे ला,- 2
सभे लोगन कहत बाड़े लौट के आ जा,
गाँव के साँझ और भोर बुलावे ला। - 2
गठरी
गठरी को उम्मीद है
कि बरसों बाद फिरेंगे
उसके भी दिन,
आएगा कोई-न-कोई,
पूछेगा उसका हालचाल.
सिंहासन धीरे से बोला ...
हँस कर राजा के कान।
तुझसे पहले भी अनेक
हुए मुझ पर विराजमान।
उनकी भी थी शब्दसभा
उनके भी थे मंगलगान।
..
बस..
सादर
गठरी
गठरी को उम्मीद है
कि बरसों बाद फिरेंगे
उसके भी दिन,
आएगा कोई-न-कोई,
पूछेगा उसका हालचाल.
सिंहासन धीरे से बोला ...
हँस कर राजा के कान।
तुझसे पहले भी अनेक
हुए मुझ पर विराजमान।
उनकी भी थी शब्दसभा
उनके भी थे मंगलगान।
..
बस..
सादर
बेहतरीन संकलन में सृजन को सम्मिलित करने के लिए सादर आभार आदरणीय ।गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं ।
ReplyDeleteशानदार प्रस्तुतीकरण उम्दा लिंक संकलन
ReplyDeleteमेरी रचना को स्थान देने हेतु बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार।
बहुत बढ़िया संकलन। मेरी रचना को स्थान देने के लिए विशेष शुक्रिया।
ReplyDeletebahut badiya sanklan
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति. मेरी कविता शामिल करने के लिए आभार
ReplyDeleteबहुत अच्छा संकलन है |
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