Sunday, August 2, 2020

434..कलाकारों पर क्यों नहीं छोड़ देता है वो बना लेंगे पेंटिंग हूबहू

नमस्कार
आज मित्रता दिवस है
मित्र के बारे में एक नज़रिया
जो आपको 

हर अच्छाई और कमी के साथ 
स्वीकार करे. 
वही सच्चा मित्र है
...
आज की पसंदीदा रचनाओं की ओर चलें


रिक्त हुई समाज से रीत लौट आई है ..अनीता सैनी

बात हृदय पर लगे आघात की है 
शब्दों के भूचाल से उठे  बवंडर की है 
सूखी घास में लगाई जैसे आग की है 
लगानेवाले भी अपने ही किसी ख़ास की है 
किसी का गढ़ा द्वेष 
किसी के सर मढ़ा जाएगा  


तुम एक टूटा हुआ काँटा हो ...पूजा प्रियंवदा

होना और नहीं होना
निरंतर प्रक्रिया है
जैसे खोना पाना
कुछ और खोना कुछ और पाना
फिर खुद ही कोई गुम लम्हा हो जाना
जिसे कोई नहीं ढूंढ रहा


वो, महफ़िल और इश्क़ ...महेश बरमटे "माही"

मैंने कुछ कहानियाँ गढ़ीं 
कुछ किस्से कहे 
वो शामिल थे मुझमें 
वो सुनते रहे। 

वो दूर बैठे थे महफ़िल में 
तमाशबीन बन कर 
सीने से लगने को जी किया 
अश्क़ बहते रहे। 


सावन की छटा निराली है ..सुरेन्द्र शुक्ल

मलयानिल बह रही आज ,
रिमझिम फुहार सुखदाई है
खिले पुष्प अनुपम गुलाब
हर ओर बिछी हरियाली है



गरमा-गरम पन्ना उलूक का

चेहरा लिखना
किसी के बस में
होता भी है या नहीं होता है
इस पर ना किसी ने कभी कुछ कहा होता है
ना कुछ कहीं लिखा होता है

मुखौटे
एक चेहरे के कई हो सकते हैं
कई चेहरों पर
एक मुखौटा कभी हो ही नहीं सकता है

सारा लिखा लिखाया
मुखौटा ओढ़ कर ही लिखा जाता है

कोई हो
तुलसी हो कबीर हो सूर हो
सबके मुखौटे की छाया
लिखा लिखाया साफ साफ दिखा जाता है

..
आज बस
कल की कल
सादर


4 comments:

  1. मित्रता दिवस की शुभकामनाएं
    बढ़िया प्रस्तुति
    सादर..

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  2. बहुत ही सुंदर प्रस्तुति आदरणीय दी।मेरे सृजन को स्थान देने हेतु सादर आभार।

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  3. बहुत ही सुंदर प्रस्तुति..

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