सादर अभिवादन
गुरुवार पर्व की शुरुआत
सूनापन है घर में आज
और अच्छा भी है
लोग घर पर रहेंगे तो
सुरक्षित भी रहेंगे
गुरुवार पर्व की शुरुआत
सूनापन है घर में आज
और अच्छा भी है
लोग घर पर रहेंगे तो
सुरक्षित भी रहेंगे
चलिए देखते हैं आज की रचनाएँ...
शादी के बाद घर बदल गया
भूमिका बदल गयी और
जीवन का दर्शन कराने वाली
आँखें बदल गयीं !
तो दोस्तों, बज़ाहिरा आँखों पर चढ़ा
चश्मा भी बदल गया !
शिव को इच्छा जगी सृष्टि करे
वह इच्छा ही ‘शक्ति’ है
राधा बने तो स्वयं को देखा
शक्ति बने तो सृष्टि की
सृष्टि की रचना भी प्रेम ही है !
गढ़ो ना यूँ, असहिष्णुता की परिभाषा,
ना भरो धर्मनिरपेक्षता में निराशा,
जागने दो, एक आशा,
न आँच आने दो, सम्मान पर,
संस्कृति के, अभिमान पर,
रक्त है, मेरे भी नसों में,
उबल जाता है ये!
जिंदगी फंसी रही 'ऋ' जैसे दुविधाओं में
पलटती तो कभी खोलती रही
पर अंततः 'ओ-कार' के झंडे में
आना ही पड़ा 'औ-कार' की तरह उसको भी।
इस तरह, स्वरों को मिल ही गया सुर।
गणेश जी में दस दिनों तक हर रोज नया-नया कौन सा प्रसाद चढ़ाए या नए-नए मोदक कैसे बनाएं यह सवाल कई बार मन में आता है। मोदक यदि ऐसा हो जो बनाने के लिए गैस भी जलानी न पड़े और
वो स्वाद में लाजबाब हो तो...आइए आज हम बनाते है
पान गुलकंद मोदक (Paan Gulakand Modak)...जो बनाना इतना आसान है कि उसे बनाने के लिए गैस भी नहीं जलानी पड़ती!
आज बस..
कल की कल देखेंगे
सादर
कल की कल देखेंगे
सादर
आज की पत्रिका में अनुपम सूत्रों का संयोजन यशोदा जी ! मेरी रचना को इसमें स्थान दिया आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार ! सप्रेम वन्दे सखी !
ReplyDeleteसुंदर लिंक्स। मेरी रचना को सांध्य दैनिक मुखरित मौन में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद,यशोदा दी।
ReplyDeleteउम्दा लिनक्स से सजा आज का अंक |
ReplyDeleteसभी जन सुरक्षित रहें, स्वस्थ रहें
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