Saturday, August 10, 2019

79...स्टेज बहुत बड़ा है आग देखने वालों की भीड़ है

सादर अभिवादन

जिंदगी तुम 
कई बार 
मायने बदल देती हो 
मुस्‍कराहटों के 
पढ़ती हो जब भी
वक्‍़त की किताब
पड़ जाती हो 
सोच में  
हर पृष्‍ठ इसका
भरा होता है 
विस्‍मय की स्‍याही से  
जिसके मायने 
तुम्‍हें भी झकझोर देते हैं !

-मन की उपज




अब आप पढ़िए आज की प्रस्तुति..


चिनार और पाइन मुस्काये
कोनिफर भी मंगल गाये
श्वेत उतंग मस्तक गर्वोन्मत 
बाँधनी चुनर किरणें फैलाये
चाँदनी की मोहक मंजरियाँ
सज गयी निशा की यारी में






धारा 370 क्या समाप्त हुई, कवि की कविता ही समाप्त हो गयी! कल एक चैनल पर हरिओम  पँवार ने कहा। वे बोले की मैं चालीस साल से कश्मीर पर कविता कह रहा था लेकिन आज मुझे खुशी है कि अब मेरी कविता भी समाप्त हो गयी है। न जाने कितने कवियों ने कश्मीर पर कविता लिखी, सारे देश में कविता-पाठ किया और हर भारतवासी के दिल में कश्मीर के प्रति भाव जगा दिया। उसी भाव का परिणाम है कि आज धारा 370 हटने के बाद देश में अमन-चैन है। 


उतरो, उतरो, ऐ बादल!
जैसे उतरता है माँ के सीने में दूध
बच्चे के ठुनकने के साथ


हवाओं में सुगंध बिखेरो

पत्तों को हरियाली दो 
धरती को भारीपन 
कविता को गीत दो

शब्दों का जो अर्थ बना है
उससे परे न जग में कोई,
बिखरा पवन धूप सा श्यामल
अरुणिमा कण-कण में समोई

किसी दरवेश के दरगाह से ...सुबोध सिन्हा

बस आ ही जाती हों
बंद कमरों में भी
खुले रोशनदानों से
हवा के झोंको के साथ
मज़हबी बेमतलब की
बातों में बिना भेद किये


 
ना 
आग ही 
नजर आती है 


ना ही 

नजर आता है 
कहीं 
धुआँ भी 
जरा सा

बस फिर मिलते हैं
सादर..





8 comments:

  1. जी दी आपकी लिखी भूमिका की पंक्तियाँ पसंद आयी।
    सारी रचनाएँ बहुत अच्छी हैंं।
    मेरी रचना को इस अंक में शामिल करने के ललिए बहुत आभार दी।

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  2. बहुत ही सुन्दर संकलन दी जी
    सादर

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  3. जिन्दगी के मायने समझाती खूबसूरत भूमिका के साथ उम्दा संकलन । सादर...

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  4. वाह! बहुत सुंदर संकलन दीदीजी।सादर नमन।

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  5. यशोदा जी नमन आपको ! मेरी रचना को यहाँ लेकर मान देने के लिए साभार आपका।
    एक साथ जीवन के कई रंग हैं इस एक संकलन में ...

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  6. जीवन को परिभाषित करती भूमिका के साथ सुंदर सूत्रों का संयोजन..आभार

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