Thursday, August 29, 2019

98...हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद और भारत का खेल दिवस....

 स्नेहाभिवादन !
आज की सांध्य प्रस्तुति में सभी का हार्दिक स्वागत….
"स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क का वास होता है"
इस कथन का महत्व सर्वविदित है ।
आज हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का जन्म दिवस है ..
सम्पूर्ण राष्ट्र को अनन्त  बधाईयाँ । 
देश में खेलों को बढ़ावा देने के लिए 
हर वर्ष 29 अगस्त के दिन को हर्षोल्लास के साथ
"खेल दिवस" के रूप में मनाया जाता है । व्यस्त 
दिनचर्या में हम सभी को थोड़ा समय शारीरिक गतिविधियों को अवश्य देना चाहिए ।
इसी संकल्प के साथ पढ़ते आज के कुछ चयनित सूत्र---

ध्यानचन्द,  चाँद की रोशनी में हॉकी का अभ्यास करते थे
इस नाते ‘ध्यानचन्द सिंह’ से ‘ध्यानचंद’
 हुये। हॉकी को जानने और मानने वाले मानते थे
 कि ध्यानचन्द की हॉकी में चुम्बक लगा हुआ है। 
कई बार अन्तर्राष्ट्रीय मैच खेलने से पहले उनकी
 हॉकी स्टिक की जाँच की गयी। एक बार उसे 
तोड़कर भी देखा गया। वियना में ध्यानचन्द की 
एक प्रतिमा है जिसमें चार हाथ बने है। चारों में 
हॉकी स्टिक थामे हुये है।  पुनः राष्ट्रीय खेल के बादशाह के जन्मदिन पर अनन्त बधाई।

★★★

आम प्रचलित भाषा में कहूँ तो मुझे भी तुमसे मिलना है बिछड़ना नही है, मुझे भी तुमसे दूर नही रहना तुम्हारे बहुत करीब रहना है, मुझे भी अकेले रोना नही तुम्हारे साथ हँसना है, मुझे भी तड़प के मरना नही तुम्हारे साथ खुल के जीना है। मुझे नही पता कि मैं तुम्हारे बिना कैसे और कितना जी पाऊंगा पर इतना बता दूँ कि जब तुमसे पहली बार मिला था, तभी तुम्हारा एक हिस्सा अपने साथ ले आया था।

★★★

शून्य से आए हैं
शून्य में समा जाएंगे
शून्य के रहस्य को
हम फिर भी न समझ पाएंगे

शून्य में ब्रह्म छुपा
शून्य है परमात्मा
अनेकों रहस्य लिए
शून्य ही है आत्मा

★★★

हमारे बहुत से पर्वतवासी मित्रों की और हमारे
 पुरबिया मित्रों की ज़ुबानों में, एक ऐसी मशीन 
फ़िट होती है जो ‘श’ को ‘स’ में और ‘स’ को 
‘श’ में ऑटोमेटिकली बदल देती है. इस से – ‘क़िस्मत’, ‘किश्मत’ में बदल जाती है और
 ‘कोशिश’, ‘कोसिस’ में तब्दील हो जाती है.
मेरे एक बिहारी मित्र का गला बहुत अच्छा था. मैथिली के और भोजपुरी के लोकगीतों को गाने में
उनका कोई सानी नहीं था लेकिन उनको 
मुहम्मद रफ़ी की और जगजीत सिंह की ग़ज़लें 
गाने का बहुत शौक़ था-
‘तेरा हुश्न रहे, मेरा इस्क रहे तो, 
ये शुबहो या साम, रहे न रहे ---’
और -
‘शरकती जाए है, रुख शे नकाब, 
आहिश्ता-आहिश्ता --- ’
मित्र की ऐसी ग़ज़लें सुनकर मैं या तो अपना सर धुनने लगता था या
फिर उनका गला दबाने के लिए दौड़ पड़ता था.

★★★

नामुमकिन को मुमकिन करना
सबके वश का काम नहीं,

हुई सफलता उसी को हासिल
हार भी जिसके लिए हार नही ।

★★★

शुभ संध्या
🙏
"मीना भारद्वाज"















10 comments:

  1. बेहतरीन प्रस्तुति...
    सादर..

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  2. ..पर किशोर एवं युवा वर्ग को यह कैसे समझाया जाए कि हमारे राष्ट्र के जो प्राचीन खेल हैं , जिनसे हमें गुलाम भारत में भी सम्मान मिला। हम उससे दूर होते जा रहे हैं और बच्चों का सारा ध्यान क्रिकेट पर ही केंद्रित है।
    खैर , आज प्रधानमंत्री ने कुछ अच्छी बातें कही हैं। देखना है कि इनका अनुपालन कितना होता है।
    सुंदर प्रस्तुति के लिया प्रणाम।

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  3. बहुत खुबसुरत अभिव्यक्ति है,आपके संकलन की मीनाजी थैक्स!!

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  4. वाह बेहतरीन रचनाओं का संगम।एक से बढ़कर एक प्रस्तुति।
    विट्ठल विट्ठल विट्ठला हरी ॐ विठाला mp3 Download

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  5. बेहतरीन प्रस्तुति

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  6. बेहतरीन प्रस्तुति...

    बहुत अच्छे लिंक्स दिए आपने
    हॉकी के जादूगर और भारत का खेल दिवस ..lekh bahut psnd aaya

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  7. बहुत सुंदर प्रस्तुति मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार मीना जी

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  8. सभी रचनाओं को पढ़कर आनन्द का अनुभव हुआ ,अति उत्तम शानदार प्रस्तुति ,नमस्कार तथा मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार मीना जी

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