Thursday, August 1, 2019

70... झर झर झरते पात .....


स्नेहाभिवादन !
स्वागत आज की सांध्य वेला  प्रस्तुति में…
 "ब्लॉग जगत का कल का दिन
कलम के सिपाही मुंशी प्रेमचंद जी के नाम रहा ।
हिन्दी साहित्य कोष की समृद्धिमें उनका योगदान अविस्मरणीय हैं ।
हम उनके दिखाए मार्ग पर चल सामाजिक विसंगतियों के
निराकरण में अपना योगदान दे कर उन्हें
वास्तविक श्रद्धा सुमन अर्पित कर सकते हैं ।"

अधिक समय न लेते हुए  अब पढ़ते हैं आज के कुछ चुनिंदा सूत्र---

खूबसूरत,
सुविधाजनक घरों की भरमार है,
इतनी ऊंचाई
कि सारा शहर दिख जाए !
लेकिन,
वह लाल पक्की ईंटों से बना घर,
बेहद खूबसूरत था ।
कमरे के अंदर,
घर्र घर्र चलता पंखा,
सप्तसुरों सा मोहक लगता था ।
*****

चढ़ता वेग ऊँची पेंग ढ़लता पेग सब सावन में सपना।
टिटिहारोर कजरी प्रघोर छागल शोर सावन में सपना।
व्हाट्सएप्प सन्देश वीडियो चैट छीने जुगल किलोल,
वो झुंझलाहट कब हटेगा मेघ है अब सावन में सपना।

*****

झर-झर झरते पात,
कहते जाते अपनी बात।
पतझड़ लेकर आया सौगात,
हम हुए अब बीते समय की बात।
नव किसलय अब आने वाले हैं,
नई कहानी सुनाने वाले हैं।
*****


*****

यदि हम सचमुच चाहते,  
तो दूसरों में नहीं ढूंढते  ..  
अपने भीतर ही खोजते  
नमक का दारोगा। 

अगर हमें अच्छे लगते हैं 
ईमानदार किताबों में, 
तो हम असल जिंदगी का 
उन्हें हिस्सा क्यों नहीं बनाते ? 
क्यों नहीं बन कर दिखाते वैसा 
जैसा था नमक का दारोगा।

*****
शुभ संध्या
🙏🙏
"मीना भारद्वाज"

10 comments:

  1. सस्नेहाशीष संग शुभकामनाएं बहना
    सुंदर संकलन

    ReplyDelete
  2. बहुत सुंदर सूत्रों से सजा आज का यह सांध्य अंक बहुत अच्छा लगा मीना दी..सभी रचनाएँ बहुत अच्छी लगी।

    ReplyDelete
  3. व्वाहहहह..
    बेहतरीन संचयन...
    सादर..

    ReplyDelete
  4. बहुत सुंदर संकलित रचनाएं सुंदर प्रस्तुति करण ।
    शुभ संध्या।

    ReplyDelete
  5. बहुत ही सुन्दर संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार सखी

    ReplyDelete
  6. बेहतरीन प्रस्तुति 👌
    सादर

    ReplyDelete
  7. वाह बहुत खूबसूरत अंक।

    ReplyDelete
  8. मीनाजी, आपने बहुत अच्छी बात कही. मुंशी प्रेमचंद की संवेदनशीलता को अपने ह्रदय में अंकित कर लेना ही उन्हें सच्चे दिल से याद करना है. आपका आभार.
    सभी रचनाकारों को सुन्दर रचनाओं के लिए बधाई !

    ReplyDelete
  9. यहाँ प्रस्तुत सभी रचनाएँ प्रेरणादायी है। आपका चयन वाकई में बहुत बढ़िया है।
    "बाकी सब अपरिचित"
    यह रचना तो लाजवाब है।

    ReplyDelete
  10. प्रिय मीना जी बहुत ही प्यारा अंक |साहित्य के पुरोधा मुंशी प्रेमचंद जी को शत -शत नमन , जिन्होंने हर साहित्य प्रेमी का प्यार पाया | उनके लिखे शब्द किंवदंतियां बन चुके है | सभी सूत्र शानदार और पठनीय | सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनायें | आपको हार्दिक बधाई और हार्दिक स्नेह |

    ReplyDelete