Sunday, August 25, 2019

94..आज की बोझिल शाम..उदास क्यों है

मोबाईल तेरे खेल निराले..
सामने से दो भद्र महिलायें आधुनिक वस्त्र 
धारण किये हुए थीं, 
और बातें करते हुए चल रही थीं, 
तथा साथ ही एक महिला 
फोन पर चलते हुए कुछ टाईप भी कर रही थीं, 
तभी बीच में गोबर मिल गया, 
साथ चल रही महिला मित्र ने रोका 
अरे संभल कर,तो फोन वाली महिला, 
जोर से हिन्दी में बोली, 
मॉय गॉड, केक कटने से बच गया।

सादर अभिवादन...
महीना अगस्त भी चला जा रहा है
रोकने की ताकत नहीं न है किसी में
चलिए चलते हैं रचनाओं की ओर....


भारतीय पुरुष अपनी जिम्मेदारी से भाग रहे हैं!!!
भारतीय पुरुष अपनी जिम्मेदारी से भाग रहे हैं!!!
ये एक बेहद शक्तिशाली तस्वीर हैं। ये तस्वीर उन लोगों के लिए एक करारा जवाब हैं जो कहते हैं कि "बच्चों की परवरिश करना सिर्फ़ महिलाओं का काम होता हैं। बच्चे को संभालने की ज़िम्मेदारी माँ की ही होती हैं। पिता का काम सिर्फ़ कमा कर लाना हैं।"


मोक्ष.. विभा रानी श्रीवास्तव

"कितनी शान्ति दिख रही है दादी के चेहरे पर...?" 
दादी को चिर निंद्रा में देख मनु ने अपने चचेरे भाई रवि से कहा।
"हाँ! भैया हाँ! कल रात ही उनके मायके से चाचा लेकर आये.. 
और अभी भोरे-भोरे ई..,"


वो कृष्ण है ....आत्ममुग्धा
मेरी फ़ोटो
जो जीवन जीना सीखाये
हर रंग में रंग जाना सीखाये
वो कृष्ण है
जो मान दे सभी को
सबके दिलों में समा जाये
वो कृष्ण है



बिल्ली का खून ...फ़रीदा राज़ी ईरानी
अब मैं अपनी बिल्ली के बदन पर नज़र करती हूँ। 
कैसा सूख कर रह गया है? यह मुझे अच्छा लग रहा है, खुद को हल्का-हल्का महसूस कर रही हूँ। कोई खास बात नहीं, वह मर गई। हम दोनों को चैन पड़ा। कब से वह अपाहिजों की तरह घिसट रही थी। 
उसकी म्याऊँ म्याऊँ से पता चलता था कि वह दुख झेल रही है मगर ज़ाहिर नहीं करती।


"पहाड़ों की एक सांझ" .....मीना भारद्वाज

पहाड़ों की एक सांझ
गीले गीले से बादल
मोती सी झरती बूँदें
खाली बोझिल सा मन


खबर - ए- उलूक ..
होती रहे शाम उदास 
आज की भी और 
कल की भी 
बहुत कुछ होता है 
करने और सोचेने 
के लिये बताया हुआ
खाली इन बेकार की 
बातों को ही क्यों है 
....
आज्ञा
दिग्विजय..





10 comments:

  1. आभार दिग्विजय जी आज के शाम के पन्ने पर शाम-ए-उलूक को जगह देने के लिये। सुन्दर प्रस्तुति।

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  2. हार्दिक आभार आपका
    उम्दा संकलन के लिए साधुवाद

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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति .. इतने सुन्दर संकलन में मेरे सृजन को जगह देने के लिए सादर आभार आपका ।

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  4. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति
    सादर

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  5. बहुत अच्छी सांध्य दैनिक मुखरित मौन प्रस्तुति !

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  6. बहुत सुंदर प्रस्तूति। मेरी रचना को सांध्य दैनिक मुखरित मौन में स्थान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, दिग्विजय भाई।

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  7. बेहतरीन प्रस्तुति ऊपर से नीचे तक ।
    सभी लिंक शानदार उपस्थिति दर्ज करवाते ।
    सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।

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  8. यहाँ प्रस्तुत सभी रचनाएँ सार्थक एवं सराहनीय है

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