Monday, August 26, 2019

95... "लकड़ भी हज़म ,पत्थर भी हज़म "

सादर अभिवादन
जाना है..
जाएँगे..
जाएँगे जरूर..
याद आ रही है
बेसन की सोंधी रोटी पर
खट्‍टी चटनी-जैसी माँ
माँ अब नहीं है
भाभी तो है..

चलिए देखें आज के अंक मे क्या है...

अब ज़िन्दगी के 50 साल तक "खुद को मैं "यह समझने वाली कि "लकड़ भी हज़म ,पत्थर भी हज़म " ,पेट को अपने खूब लाड़ से खिलाती पिलाती रही , पर अचानक एक दिन पेट को न जाने क्या सूझी खाने ले जाने वाली नली को रिवर्स गेयर में चलाने लगा ,अब जो लकड़ ,पत्थर हज़म कर रहा था पेट वो खिचड़ी ,दलिया पर भी अटक अटक के उनको भी वापस गले के रास्ते बाहर करने  लगा । 
पेट की तो हो गयी "कलाकारी" और अपनी जेब का बज गया बैंड । 

बरेली के सेठ फजल उर्र रहमान ऊर्फ चुन्ना मियां ने यहां पर भगवान विष्णु का लक्ष्मी- नारायण मंदिर का निर्माण कराकर हिंदू- मुस्लिम एकता की एक मिसाल कायम की। ये मंदिर बड़ा बाजार के पास खोखरा पीर इलाके में कटरा मानराय में है। इसके ठीक बगल में बुधवारी मस्जिद भी है। इस इलाके में पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थियों को बसाया गया था।

धोबी का कुत्ता घर का ना घाट का
धोबी का कुत्ता क्यों कहा जाता है ? मैंने तो किसी भी धोबी को आज तक कुत्ता पालते देखा नहीं ... और फिर इसे धोबी से जोड़ कर ही क्यूँ कहा जाता है ?

मेरा मित्र मुस्कराया और कहा कि -

यह शाब्दिक आतंकवाद सी दुर्घटना है। इस मुहावरे का जन्म हुआ तो बिल्कुल सही तुलना से है। लेकिन शब्द बदल गए हैं। यही वजह है कि इसमें कुत्ता घुस गया हैं।

पुरातन काल में जब धोबी किसी के भी घर जाते थे। तो उसी घर के आस-पास किसी भी पेड़ की बड़ी सी लकड़ी तोड़कर एक सोटा बनाया जाता था। जिससे उस घर के कपड़े घाट पर ले जाकर धोए जाते थे।

इस सोटे को कुतका कहा जाता था। जब कपड़े धो लिए जाते थे तो धोबी वह कुतका घर के बाहर ही किसी झाड़ी में छोड़कर वापस अपने घर लौट आता था। दूसरे दिन सुबह जब कपड़े धोने होते थे , तो वहीं कुतका वहां से फिर उठाकर कपड़े घाट पर ले जाकर धोए जाते थे। यह कुतका धोबी अपने घर नहीं ले जाता था।

मेरी फ़ोटो
मिल गए ऐश्वर्य कितने अनगिनत
पञ्च-तारा जिंदगी में हो गया विस्मृत विगत
घर गली फिर गाँव फिर छूटा नगर
क्या मिला सचमुच ...

अब तो  सोच  की
इन्तहा आम  हो गई
हम क्या थे ?क्या चाहते थे ?
क्या हो गए ?
किसने बाध्य किया
राज फाश करने को
अब तो बात फैल गई
चर्चा सरेआम हो गई
......
सादर आभार
यशोदा






7 comments:

  1. बेहतरीन प्रस्तुति..
    सादर..

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  2. सस्नेहाशीष संग शुभ संध्या छोटी बहना
    संग्रहनीय सराहनीय संकलन

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  3. Wow such great and effective guide
    Thank you so much for sharing this.
    BhojpuriSong.in

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  4. सुप्रभात
    उम्दा संकलन |
    मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद |

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  5. उम्दा प्रस्तुती शानदार लिंक सभी रचनाकारों को बधाई।

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  6. वाह ... बहुत ही बेहतरीन संकलन ... अच्छी रचनाएँ ...
    आभर मेरी रचना को जगह देने के लिए ...

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