Thursday, September 17, 2020

481होते होते नहीं मजा तो है होने के बाद कुछ देर में कुछ कुछ कहने का


 सादर वन्दे....
आज विश्वकर्मा जयन्ती है
और सर्व पितृ अमावस्या भी है


तारीफ की बात है...
कल-कारखानों में अवकाश है..
और छत्तीसगढ़ शासन में अवकाश नहीं
खैर जाने भी दीजिए...
रचनाएँ कम है आज


कदम जब रुकने लगे 
तो मन की बस आवाज सुन
गर तुझे बनाया विधाता ने
श्रेष्ठ कृति संसार में तो
कुछ सृजन करने होंगें 
तुझ को विश्व उत्थान में
बन अभियंता करने होंगें नव निर्माण





पारदर्शी शरीर लेकर फिर चलो
निकलें प्रस्तरयुगीन नगर
में, असीम शून्य में
है कहीं नक्षत्रों
का महा -
उत्सव, विलीन हो के हम भी
देखें पत्थरों के डगर में,


कुछ तो तुम भी क़रीब आ जाओ ।
बारहा बेबसी नहीं होती ।।

 चैन से रात भर मैं सो लेता ।
गर वो खिड़की खुली नहीं होती ।।


चेवरा होखे भा खेतवा बधार
सगरो बहेला पनिया के धार
केतना किसिम के मिलेला मछरी
पोठिया बघवा संगे कोतरा टेंगरी
बड़ी इयाद आवे गांवे के सिधरी

खबर छपना
ढके हुऐ सब कुछ के पारदर्शी होने का 
अंदाज वही हर बार की तरह 
वैसा हमेशा सही

कभी ऐसा भी 
कभी कभी कहीं कहीं 
कह लेने का । 
...
बस
सादर


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