अलविदा
अब कभी नहीं मिलेंगे
सादर अभिवादन
कालजयी अब कभी - कभार
आज मिलिए भाई रवीन्द्र सिंह जी से
भाई रवीन्द्र जी के बारे में
हिन्दी कविता, कहानी,आलेख आदि लेखन 1988 से ज़ारी. आकाशवाणी ग्वालियर से 1992 से 2003 के बीच कविताओं, कहानियों एवं वार्ताओं का नियमित प्रसारण. नवभारत टाइम्स . कॉम पर बूंद और समंदर अपना ब्लॉग. Website: हिन्दी-आभा*भारत (http://www.hindi-abhabharat.com), Blog: हमारा आकाश https://ravindrasinghyadav.wordpress.com ब्लॉग पर सक्रिय.
पढ़िए उनके ब्लॉग की चुनिन्दा रचनाएँ
फ़ासले
पैदा करना तो
सियासत की
रिवायत है,
अदब को
आज तक
अपनी
ज़ुबाँ की
आदत है।
कोई मुक़रा
कोई सिमटा
अपने - अपने दायरों में ,
मैं भी एक गवाह हूँ सफ़र का
यों ही न भूल मुझे।
ज़िन्दगी तू
अब सिखा दे
जीने का उसूल मुझे।
लगता है
सब फ़ासले मिट गये
हमारे दरमियाँ
बदलीं हैं ज़माने की हवाएँ,
लोकतंत्र है अब तो
राजा-रानी की
हो गयी कहानी पुरानी।
रंगीन महल
मुकम्मल होने से पहले
क्यों ढहता है
बार-बार
भरभराकर
लापरवाही में मौत
सनक में मौत
हनक में मौत
सेल्फ़ी में मौत
लालच में मौत
स्वाभाविक मौत
असमय मौत
राजनैतिक मौत
बलिदानी मौत
बे-मौत मौत
यह सड़ाँध मारती
आब-ओ-हवा
भले ही
दम घोंटने पर
उतारू है,
पर अब करें भी
तो क्या करें
यही तो
हमसफ़र है
दुधारू है।
स्वागत का सिलसिला जारी है
बहुत सुंदर प्रस्तुति आदरणीय दीदी | भाई रविन्द्र जी की रचनाओं पर विशेष अंक सराहनीय है | रवीन्द्र जी मेरे लिए बहुत विशेष हैं | शब्दनगरी के मेरे जिन सहयोगियों पर मुझे असीम गर्व है उनमें से रवीन्द्र जी एक हैं | उनकी शालीनता और सहयोग का पूरा ब्लॉग जगत कायल है | हिंदी आभा उनके विचारों का दर्पण है | समसामयिक मुद्दों पर उनकी लेखनी प्रखरता से चलती है | ज्वलंत मुद्दों को वे बड़ी सहजता से रचनाओं में ढाल देते हैं | जड़ों से जुड़ाव का परिचायक उनका लेखन नितांत मौलिक और भावपूर्ण से हैं | उनकी रचनाओं से आज मंच सजा है | उन्हें बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें | आगत वर्ष उनके लिए शुभ हो और विशेष उपलब्धियों भरा हो याही कामना है |
ReplyDeleteसादर नमन आदरणीया दीदी। मनमोहक शब्दावली से लबरेज़ आपकी उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया मेरे लेखन में सदैव निखार लाती रही है। सादर आभार।
Deleteसर्दी माना बेहाल कर रही है पर विशेष प्रस्तुतियों से पाठकों की उदासीनता बहुत हैरान कर रही है | अपने सहयोगियों की विशेष प्रस्तुतियों पर हम उनका मनोबल उंचा करने में कोई कंजूसी ना करें तो बहुत अच्छा हो |
ReplyDeleteब्लॉग मुखरित मौन पर मुझे यह सम्मान पाकर बहुत ख़ुशी हुई। पूरे ब्लॉग से चुनिंदा रचनाओं को श्रमसाध्य प्रस्तुति के लिये चुनना एक सराहनीय कार्य है। सादर आभार आदरणीय यशोदा बहन जी।
ReplyDeleteआदरणीय रविन्द्र जी की रचनाओं से आज मुखरित मौन और भी मुखरित हो उठा है....उनकी कमाल की लेखनी सराहना से परे होती है समसामयिक मुद्दों पर उनकी चिन्तनपरक रचनाएं पाठक को जागरूकता का संदेश देती हैं साथ ही एक अच्छे पाठक बनकर अपनी विश्लेषणात्मक प्रतिक्रिया से लेखक का प्रोत्साहन और मार्गदर्शन सदैव करते हैं
ReplyDeleteईश्वर अपनी कृपा सदैव उन पर बनाए रखे... उनकी सुन्दर रचनाएं पढवाने के लिए धन्यवाद यशोदा जी !
नववर्ष की अग्रिम शुभकामनाएं.....