सादर अभिवादन
18 दिसम्बर
आज छत्तीसगढ़ में
सार्वजनिक अवकाश है
गुरु घासीदास जी की जयन्ती है
18 दिसम्बर
आज छत्तीसगढ़ में
सार्वजनिक अवकाश है
गुरु घासीदास जी की जयन्ती है
सादर नमन उनको
अब चलें रचनाओं की ओर ....
जाने से पहले कुछ कह के जाती
तो अच्छा होता !
एक बार गले लगाके जाती
तो अच्छा होता !
हैं लाख सी जल रही
अधिकारों की पोथियाँ
और द्रौपदी भस्म हुई
सिक गयी सियासी रोटियाँ,
जब खो बैठे धृतराष्ट विवेक
तब मौन हुए पांडव अनेक
क्या सकल सजगता लोप है?
ये क्षण का बस रोष है।
कतरा-कतरा पिघली हूं मैं
फिर सांचे-सांचे ढली हूं मैं,
हां जर्रा-जर्रा बिखरी हूं मैं
फिर बन तस्वीर संवरी हूं मैं ,
शीतलता से भ्रांति बाँटते,
हे रजनीकर! बोध गहो तुम
मज़हब रूपी दीवारें ये, मानवता की फाँस बनेंगीं।
मेरा ही घर नहीं, तुम्हारे, अपनों का भी ग्रास करेंगीं।।
तुमने हाल सबके सुनाए
ख़त-ए-मजमून में
कुछ हाल तुमने ना मगर
अपना सुनाया
ना ही पूछा
किस हाल में हूँ?
कि तुम्हारा ख़त मिला।
ये अँधेरा भी छंटेगा धूप को आने तो दो
मुट्ठियों में आज खुशियाँ भर के घर लाने तो दो
खुद को हल्का कर सकोगे ज़िन्दगी के बोझ से
दर्द अपना आँसुओं के संग बह जाने तो दो
...
आज कुछ ज्यादा रचनाएँ हो गई है
सादर
आज कुछ ज्यादा रचनाएँ हो गई है
सादर
वाह सुन्दर।
ReplyDeleteबेहतरीन संकलन..
ReplyDeleteसादर..
लाजवाब अंक
ReplyDeleteबेहतरीन रचनाएँ
मुझे यहाँ स्थान देने के लिए आभार आपका आदरणीया
सादर
🙏
वाह बहुत सुंदर प्रस्तुति आदरणीया दीदी जी।
ReplyDeleteसभी रचनाएँ बेहद उम्दा 👌
सभी को खूब बधाई।
मेरी पंक्तियों को स्थान देने हेतु हार्दिक आभार।
सभी को सादर प्रणाम 🙏
लाजवाब अंक सुंदर प्रस्तुति।
ReplyDeleteसभी रचनाकारों को बधाई।
मेरी रचना को मुखरित मौन में शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार।
सुंदर रचनाओं का संकलन...बेहतरीन रचनाएँ
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