Sunday, December 8, 2019

199... खुदने दो कब्र चारों तरफ अपने दूर देश की खबर में

सादर अभिवादन
पड़ गए 99 के चक्कर में
अब इस एक को पूरा करने के लिए
पापड़ बेलना पड़ेगा...

चलें रचनाओं की ओर...

सुनो प्रिये !
तुम यों ही मुस्कुराते रहना 
बन्धुत्त्व गान 
गुनगुनाते रहना अहर्निश 
मिटाना न मन की सादगी 
प्रेम दीप 
ढलती साँझ तुम जलाना, 


दूर मुझसे न रहो तुम यूँ बेखबर बन कर
क़रीब आओ चलो साथ हमसफ़र बन कर

जहाँ भी देखता हूँ, बस तुम्हारा चेहरा है
बसी हो आँख में तुम ही मेरी नज़र बन कर


nagfani plant के लिए इमेज परिणाम
था उसका सफ़र बड़ा कठिन
बादलों ने रहम न दिखाया 
न उसे कोई उर्वरक मिला 
ज़मीं से नमी का सहारा न मिला 
फिर भी ढीठ नागफनी का पौधा
बेशर्म बन उग उठा

प्रकृति में विचरता हृदय
कितना सुकून भरा होता है
पर क्या सचमुच,
प्रकृति का सौंदर्य-बोध
जीवन में स्थायी शांति
प्रदान करता है?
प्रश्न के उत्तर में
उतरती हूँ पथरीली राह पर
कल्पनाओं के रेशमी 
पंख उतारकर



 तुम्हारी दोनों मौसी नहीं दिख रही हैं.. क्या वे दार्जिलिंग वापस चली गयी हैं..अच्छा,अब फिर कब आएँगीं..। "
   वह दुग्ध सामग्री विक्रेता जब भी यह प्रश्न करता था , मैं कुछ भी नहीं समझ पाता था और समझता भी कैसे, मात्र दस वर्ष का ही तो था।


उसी को 
केवल 
भूलना होता है 

‘उलूक’
पूरी जिंदगी 
कट जाती है 

खबर 
दूर देश की 
चलती चली जाती है 

अपने 
बगल में ही 
खुद रही कब्र 
से 
मतलब रखना
..
अब बस
फिर मिलेंगे
सादर

7 comments:

  1. मेरा प्रश्न वृंदा से यह है कि यदि स्वयं का सतीत्व भंग होने पर वह अपने शरीर का त्याग कर सकती है,तो उसने अन्य स्त्रियों के साथ ऐसा ही दुष्कृत्य कर रहे अपने पति जालंधर का परित्याग क्यों नहीं किया ? इंद्र ने जब अहिल्या के साथ छल किया ,तब इंद्राणी (शची) क्यों मौन रही ? राज्यसभा में द्रौपदी चीरहरण के समय गांधारी आदि सभी महिलाएँँ कहाँँ थींं, वे क्यों मौन थींं और उन्होंने दुर्योधन और दुशासन को दंडित क्यों नहीं किया और परिणाम क्या निकला महाविनाश?
    अपनों द्वारा किये जा रहे अन्याय के विरुद्ध नारी समाज का मौन कब मुखरित होगा,इस आधुनिक सभ्य समाज को इसकी प्रतीक्षा है।
    मेरी रचना को सम्मान देने के लिए हृदय से आपका आभार यशोदा दी।
    सभी को प्रणाम।

    ReplyDelete
  2. शुभकामनाएं 200वीं प्रस्तुति की पूर्व संध्या पर आभार के साथ।

    ReplyDelete
  3. सादर आभार आदरणीया यशोदा दीदी जी मेरी रचना को मुखरित मौन पर सजाने के लिये. बहुत सुंदर बनी है आज की प्रस्तुति. आपका रचना चयन सदैव सराहनीय होता है. सभी रचनाकारों को बधाई.
    199 वीं प्रस्तुति की हार्दिक बधाई.
    सादर

    ReplyDelete
  4. बहुत शानदार प्रस्तुति, रोंगटे खड़े करते यथार्थ लेख।
    प्रबुद्ध कलमकारों को नमन।

    ReplyDelete
  5. सुंदर अंक आदरणीय दीदी, व्यस्त होने के बावजूद 200 अंक की प्रस्तुति देखकर लिखने का मन हुआ। मुखरित मौन मंच को प्रस्तुति विशेष के लिए हार्दिक शुभकामनायें और बधाई । मंच ब्लॉग की रचनाओ को पाठकों से जोड़ने में अतुलनीय योगदान दे रहा है। सभी रचनाकारों को बहुत बहुत शुभकामनायें। सभी से आग्रह है शशि भाई का ज्वलंत मुद्दों पर गंभीर लेख जरूर पढ़ें। शानदार लेख और टिप्पणी के लिए वे सराहना के पात्र हैं। सभी को इन प्रश्नों पर विचार कर इनके उत्तर जरूर ढूंढ्ने चाहिए। प्रणाम और आभार। 🙏🙏🙏

    ReplyDelete
  6. शुभकामनायें और बधाई !

    ReplyDelete