सादर अभिवादन
कल जो हुआ..
याद दिलाती है
नाना पाटेकर की फिल्म
अब तक छप्पन की..
पुलिस का ऐसा साहस
यदा-कदा ही देखने को मिलता है
और इतिहास बना जातो है..
...
आइए चलें रचनाओं की ओर....
ड्यू प्रोसेस ऑफ लॉ ....विश्वमोहन कुमार
'और जला के भसम करने से 302 जो चलेगा', चौथे ने सवाल दागा।
'हूँह! 302 चलेगा तो 'ड्यू प्रॉसेस ऑफ लॉ' चलेगा। तब यह बलात्कार का केस नहीं होगा। मडर केस होगा। बरसों तक गवाही होगी। 'रेयरेस्ट ऑफ रेयर क्राइम' नहीं होगा। बहुत जादे होगा तो 'चौदह बरसा' होगा।
पहले से मर चुकी आत्मा की देह धू-धू कर जल रही थी। 'ड्यू प्रोसेस ऑफ लॉ' के आकाश में 'रेयरेस्ट ऑफ रेयर क्राइम' का अट्टहास गूंज रहा था।
स्वर्णमृग की लालसा ....जयकृष्ण राय तुषार
लक्ष्मण रेखा
विफल
सौमित्र मत जाना ,
शत्रु का
तो काम है
हर तरफ़ उलझाना ,
चूक मत करना
सुबह हो ,
दिवस हो या शाम |
दिसम्बर का एक दिन ....ओंकार जी
अदरकवाली चाय की ख़ुश्बू ,
घी में सिकते हलवे की महक,
टमाटर का सूप,संतरे का रस,
मक्के की रोटी,सरसों का साग.
तृषित अंजलि का अमृत जल ...शैल सिंह
कभी वैरागि मन की पगडंडियों पर
तृषित अंजलि का अमृत जल पिला के
कभी फायदा भोलेपन का उठाता
लुका-छिपी कर छलता रहा आते-जाते।
तुझ बिन जिया उदास ..... मुदिता
सुबह का सूरज
अंधियारे में
लाये किरणों का उजास
फिर जग जाती मिलन की तुझसे
गहरी सी इक आस
पल पल राह तके ये नैना
तुझ बिन जिया उदास ....
..
आज का दिन अच्छा-बुरा कहने का है
कुछ लोग सराहना कर रहे हैं
कुछ सहानुभूति दर्शा रहे हैं
और कतिपय लोग न्यायपालिका की अवमानना
कह रहे हैं....काश
सभी राज्यों की पुलिस ऐसा साहस कर ले
तो बलात्कार का नामो-निशान मिट जाएगा
सादर
कल जो हुआ..
याद दिलाती है
नाना पाटेकर की फिल्म
अब तक छप्पन की..
पुलिस का ऐसा साहस
यदा-कदा ही देखने को मिलता है
और इतिहास बना जातो है..
...
आइए चलें रचनाओं की ओर....
ड्यू प्रोसेस ऑफ लॉ ....विश्वमोहन कुमार
'और जला के भसम करने से 302 जो चलेगा', चौथे ने सवाल दागा।
'हूँह! 302 चलेगा तो 'ड्यू प्रॉसेस ऑफ लॉ' चलेगा। तब यह बलात्कार का केस नहीं होगा। मडर केस होगा। बरसों तक गवाही होगी। 'रेयरेस्ट ऑफ रेयर क्राइम' नहीं होगा। बहुत जादे होगा तो 'चौदह बरसा' होगा।
पहले से मर चुकी आत्मा की देह धू-धू कर जल रही थी। 'ड्यू प्रोसेस ऑफ लॉ' के आकाश में 'रेयरेस्ट ऑफ रेयर क्राइम' का अट्टहास गूंज रहा था।
स्वर्णमृग की लालसा ....जयकृष्ण राय तुषार
लक्ष्मण रेखा
विफल
सौमित्र मत जाना ,
शत्रु का
तो काम है
हर तरफ़ उलझाना ,
चूक मत करना
सुबह हो ,
दिवस हो या शाम |
दिसम्बर का एक दिन ....ओंकार जी
अदरकवाली चाय की ख़ुश्बू ,
घी में सिकते हलवे की महक,
टमाटर का सूप,संतरे का रस,
मक्के की रोटी,सरसों का साग.
तृषित अंजलि का अमृत जल ...शैल सिंह
कभी वैरागि मन की पगडंडियों पर
तृषित अंजलि का अमृत जल पिला के
कभी फायदा भोलेपन का उठाता
लुका-छिपी कर छलता रहा आते-जाते।
तुझ बिन जिया उदास ..... मुदिता
सुबह का सूरज
अंधियारे में
लाये किरणों का उजास
फिर जग जाती मिलन की तुझसे
गहरी सी इक आस
पल पल राह तके ये नैना
तुझ बिन जिया उदास ....
..
आज का दिन अच्छा-बुरा कहने का है
कुछ लोग सराहना कर रहे हैं
कुछ सहानुभूति दर्शा रहे हैं
और कतिपय लोग न्यायपालिका की अवमानना
कह रहे हैं....काश
सभी राज्यों की पुलिस ऐसा साहस कर ले
तो बलात्कार का नामो-निशान मिट जाएगा
सादर
बेहतरीन प्रस्तुति..
ReplyDeleteसादर..
सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति ,सादर नमन दी
ReplyDeleteअच्छा संग्रह,
ReplyDeleteसादर --- नील
आपका हृदय से आभार
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति।आभार
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