Wednesday, December 11, 2019

202..प्याज बिना स्वाद कहाँ रे!

मुखरित मौन के सांध्य अंक में
आपका स्नेहिल अभिवादन
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जीवन-स्तर ,रहन-सहन,बोल-चाल या शैक्षणिक योग्यता के एक तय मापदंड के आधार पर समाज में रहने वाला व्यक्ति सभ्य है या असभ्य,
हम कितनी आसानी से सुनिश्चित कर लेते हैं।
पर क्या सभ्य और असभ्य के बीच की लकीर
समझ पाने का दृष्टिकोण सारयुक्त है ?
सोचियेगा।
आइये रचनाएँ पढ़ते हैं-



आपकी अदायगी से बज़्म फिर ग़ुलज़ार है !
किसने कर दिया भला फिर दरकिनार आपको ?

लेना था लगा रहा कि आपको थी क्या कमी ?
देना पर रहा हिसाब किश्तवार आपको !

मुफ्त में ले जायिये बेशक गज़ल का कोई शेर !
गर नज़र आये कभी वो इश्तिहार आपको !





इस पिंजरे को
समझ के अपना,
देख रहा तू
भ्रम का सपना ,
लम्बी सफर का
तार जब जुड़ जायेगा,
देखते -देखते
पाखी तो उड़ जायेगा।



विरह अग्नि  में पल पल जलती
मिलने को अब आतुर रहती
आस मिलन की  लगती सदियां
का सखि साजन?ना सखि नदियां।



धीरे-धीरे बढ़ चले 
सफर पर हम 
जल्दबाजी नहीं उसे। 
सब कुछ छोड़ दिया मैंने 
अपनी मेहनत और आराम भी। 
शिष्टता उसकी ऐसी थी!


पढ़े-लिखे को फारसी क्या ! अब देख लीजिए, प्याज बिना खुद को छिलवाए लोगों के आंसू निकलवा रहा है कि नहीं ! किसके कारण ? सिर्फ जीभ के कारण ! जी हाँ, वही प्याज जिसके सेवन के लिए ऋषि-मुनियों ने बहुत पहले ही मनाही कर दी थी। क्योंकि शायद उन्हें इसका अंदाज हो गया था कि यह नामुराद, जिसका ना तो कोई ईमान है ना हीं धर्म ! एक ना एक दिन लोगों की मुसीबत का कारण बनेगा। आज देख लीजिए ! कुछ ही दिनों पहले जिसको कोई दो रुपये किलो तक लेने को तैयार नहीं था ! किसान जिसकी उपज को नष्ट करने पर मजबूर हो गए थे, उसी शैतान की आंत की जुर्रत कुछ ही दिनों में सात सौ गुना उछाल मार आज दो सौ का आंकड़ा छूने की हो रही है। कारण सिर्फ इंसान की वही तीन इंची इंद्री, जिसे बिना प्याज भोजन, भोजन नहीं लगता। वही प्याज जिसे छीलो तो परत दर परत सिर्फ छिलका ही हाथ आता है, यानी निल बटे सन्नाटा ! पर वही सन्नाटा आज ज्वालामुखी का शोर साबित हो रहा है। 


आज की प्रस्तुति कैसी लगी?
आपकी.प्रतिक्रियायें उत्साह बढ़ाती है।

#श्वेता

9 comments:

  1. रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार

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  2. बेहतरीन संकलन

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  3. सम्मलित करने के लिए हार्दिक आभार

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  4. मेरी कविता का चयन करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद श्वेता जी

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  5. आभार..
    कल के बाद हम सब फ्री हो जाएंगे
    सम्हाल लीजिएगा..
    सादर...

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  6. अच्छी भुमिका सार्रथ रचनाओं का सुंदर संकलन।
    सभी रचनाकारों को बधाई।
    मेरी रचना को मुखरित मौन में शामिल करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया।

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  7. बहुत सुंदर प्रस्तुति

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  8. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति

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