Sunday, August 1, 2021

717.. वही मैं, वही तुम, वही है दोस्ती हमारी

सादर अभिवादन 
आज कोई ब्लॉग नहीं

आज की सारी रचनाएँ
एक ई-पत्रिका की से ली है
ई-पत्रिका है अनहद कृति
एक नम्र निवेदन..
अनहदकृति में जाएं और अनहद साहित्य का आनन्द लें
सादर

आज दोस्ती का दिन है
दोस्ती हरदम अमर रहती है
आइए पढ़ें...

दोस्ती निभाने का
उनका यही है उसूल,
ताकि हम  उन्हें सदा याद रखें
कहीं जाएँ न भूल,
इसीलिए तो ऊपर वाले ने
खूब खुली रखी है
हमारी किस्मत की गली,
ऐसे दोस्तों की बदौलत ही
हमें कभी दुश्मनों की कमी नहीं खली |


कुछ तो पाया है मिरे दिल ने तेरे जाने में।
रात भर रोए थे, कुछ मोतियों को पाने में।।

फिर न कहना कि मुझे दोस्तों का मोल नहीं,
उम्र  गुज़री  है,  तेरी  दोस्ती  भुलाने  में।।

दुश्मनों के साथ तुम दोस्ती  करो न करो,
सुलह की गुफ़्तगू जारी रखो, तो कोई बात बने।

यार को अपने तो प्यार सभी करते हैं,
दुश्मन को गले लगाओ तो कोई बात बने।


ये नहीं कि दिल की ख़लिश पिघल गई।
रोने से तबियत ज़रूर थोड़ी संभल गई।।

वही मैं, वही तुम, वही है दोस्ती हमारी,
फ़ासले से कैफ़ियत ज़रूर थोड़ी बदल गई।

पहले से जानते थे कि ना आओगे मगर,
बहाने से तबियत ज़रूर थोड़ी बहल गई।


कोई दरख़्त मिले या किसी का घर आये।
मैं थक गया हूँ कहीँ छाँव अब नज़र आये।।

जिधर की सिम्त मेरे दोस्ती की बैठक थी,
उसी तरफ़ से मेरे सेहन में पत्थर आये।

दिलों को तोड़ के मन्दिर जो बनाकर लौटे,
उन्हें बताओ कि वह क्या गुनाह कर आये।
.....
सभी रचनाएँ अनहदकृति से
सभी चित्र गूगल से
मित्रतादिवस पर अशेष शुभकामनाएँ
सादर


9 comments:

  1. दोस्ती को समर्पित बहुत ही सुंदर अंक।

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    1. आभार ज्योति दीदी
      मित्रतादिवस पर अशेष शुभकामनाएँ

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  2. अति सुंदर संकलन 🙏आप सभी को मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं एवम बधाई।

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  3. एक एक रचना काबिक़े तारीफ़ है !! बधाई एवं शुभकाममनाएँ !!

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  4. दोस्ती की नयीइबारत लिखते लिंकों के सजा अनमोल अंक आदरणीय दीदी | अनहद कृति को पहले पढती थी | अब व्यस्ता की वजह से नहीं जा पाती | बहुत बढिया रचनाएँ थी सभी | सभी रचनाकारों को सस्नेह शुभकामनाएं| मैत्री दिवस पर समस्त मित्र मण्डली को हार्दिक शुभकामनाएं| स्नेह का बंधन अटूट रहे यही दुआ है |

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    1. प्रिय सखी
      सादर वन्दे
      अनहद कृति का हर नया अंक मुझे मेल से मिल जाता है
      फेसबुक में भी इसका पेज है
      फॉलो कर लीजिएगा
      सादर

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  5. दुश्मनों के साथ तुम दोस्ती करो न करो,
    सुलह की गुफ़्तगू जारी रखो, तो कोई बात बने।
    यार को अपने तो प्यार सभी करते हैं,
    दुश्मन को गले लगाओ तो कोई बात बने।

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  6. Replies
    1. आभार...
      मित्रता दिवस पर अशेष शुभकामनाएँ
      सादर..

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