Sunday, August 29, 2021

745...साप्ताहिक अवलोकन ..दूसरा अंक

साप्ताहिक अवलोकन ..दूसरा अंक
सादर नमस्कार
नेता एक रूप अनेक
नेता - १

सर पर गांधी टोपी
मुंह में पान
कुर्सी में अटकी
जिसकी जान

नेता - २

लोगों को
मदारी बन कर हंसाए
कुर्सी पर बैठते ही
जोंक बन जाए

नेता - ३

पांच साल तक
अंग्रेज़ी में करे बात
चुनाव पास आते हि
हिन्दी को करे याद

नेता - ४

चुनाव में
विरोधियों को निकाले गाली
चुनाव खत्म होते हि उनके साथ
मिलकर बजाय ताली

नेता - ५

आज के नेता
कुम्भकरण को आदर्श मानते हैं
तभी तो पाँच साल में एक बार
नींद से जागते हैं

नेता - ६

नेता और उल्लू
एक से होते हैं
दोनों हि दिन में सोते हैं
फर्क बस इतना
उल्लू पेड पर
नेता संसद में होते हैं

नेता - ७

नेता और मेंढक में
एक बात सामान्य है
दोनों अपने अपने मौसम में आते
अपना अपना राग सुनाते
नेता वोट वोट
मेढक टर्र टर्र टर्राते
फर्क - मेढक साल के साल आते,
नेता पाँच साल बाद मुस्कुराते

नेता - ८

नेता और बिल्ली में
सामान्य रूप से क्या पाया
दोनों ने किसी न किसी को उल्लू बनाया
फर्क बस इतना है
नेता ने जनता का,
बिल्ली ने बंदर का माल खाया

नेता - ९

नेता जी ने
चुनाव जीतने कि करी तैयारी
खद्दर और लाठी छोड़ कर
ऐ के ४७ से कर ली यारी
- दिगम्बर नासवा
सादर 
अगले सप्ताह फिर


3 comments:

  1. नेताजी के विविध रुपों का बहुत ही सुंदर व्यंगात्मक चित्रण किया है आपने,दिग्विजय भाई।

    ReplyDelete
  2. वाह ! भिन्न भिन्न प्रकार के रूप धारण करते अवतारी पुरुषों की पोल खोल दी।
    ये जो पब्लिक है, ये सब जानती है.....

    ReplyDelete
  3. बहुत आभार आपका मेरी रचना को आज के मौन में मुखरित करने के लिए ...
    शुक्रगुजार हूँ ...

    ReplyDelete