Saturday, August 7, 2021

723 ...छुप्पा-छुप्पी क्यों बच्चों सी, करता होगा चाँद...

सादर अभिवादन..
आज मिलिए चिड़िया से
लिखने से अधिक शौक पढ़ने का रहा। 
ब्लॉग जगत से परिचय होने के बाद 
अपनी स्वरचित रचनाओं को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से ब्लॉग बनाया।
"अब ना रुकूँगी" नाम से एक कवितासंग्रह प्रकाशित।

उफ्फ ! कितना लिख रहे हैं लोग !
लिख-लिख कर दरो दीवारों पर,
बंदूकों पर, औजारों पर,
तटबंधों पर, मँझधारों पर,
जो भी मन में हजम ना हुआ
उसकी उल्टी कर रहे हैं लोग !
उफ्फ ! कितना लिख रहे हैं लोग !!!


लो अब पूर्ण हुआ चित्रांकन,
प्रिया को बाँधे प्रगाढ़ आलिंगन !
स्मितमुख विदा हुआ धीमे - धीमे,
वह बावरा, चंचल चित्रकार !!!

बहुरुपियों की फौज,
यहाँ करती है मौज !
जैसा मौका,जैसा वक्त,
वैसा रूप धर लेते हैं।
कहे 'मीना' तू सँभल,
ऐसे आग पर ना चल,
यहाँ हंस मरे भूखा,
कागा मोती चुन लेते हैं !!!


पर मैं ना जानूँ लक्ष्य कहाँ
शापित आत्मा सी दूर यहाँ,
मैं काट रही अज्ञातवास !
कैसे आऊँ पास ?
हिमालय,
कैसे आऊँ पास !!!


अँबवा की डाली के पीछे, बादल के उस टुकड़े में
छुप्पा-छुप्पी क्यों बच्चों सी, करता होगा चाँद...

मेरे जैसा कोई पागल, बंद ना कर ले मुट्ठी में
यही सोचकर दूर-दूर, यूँ रहता होगा चाँद...


काँपते हाथों में भी है,
प्यार की ताकत अभी।
अपने अनुभव के खजाने
बाँटिए हमसे कभी।
भूल हमसे हो कभी तो
माफ भी करते रहें....
थामकर उँगली चलाया,
हम तभी तो चल रहे।।

सादर नमन


यशोदा


....
कल की कल सोचूँगी
सादर

15 comments:

  1. मीना दी कि रचनाएं मैं हमेशा पढ़ती हूं। बहुत ही अच्छा लिखती है वे। उनकी रचनाओं का बहुत सुंदर संकलन।

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    1. हृदयपूर्वक धन्यवाद आदरणीया ज्योति दीदी। बहुत सारा स्नेह आपको।

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  2. आदरणीया दीदी, ये आप सब लोगों का स्नेह ही है जो मेरी लेखनी का संबल बना हुआ है।
    ब्लॉग तो मैंने 2016 में शुरू किया, उससे पहले ही मैं कभी कभी कविता लिखा करती थी। डायरी में बंद उन कविताओं को लिखते समय कभी सोचा भी ना था कि मेरी रचनाओं को लोग कभी पढ़ेंगे। बाद में घर की शिफ्टिंग के समय वह डायरी खो गई। यह शायद 2010 के भी पहले की बात है। उस समय यही लगा था कि खो गई तो खो गई, कौनसा उनको कोई पढ़नेवाला था....
    आज आप सब मेरी रचनाओं को पढ़ते और सराहते हैं तब अहसास होता है कि मैंने क्या खो दिया था...खैर!!!
    आज सांध्य मुखरित मौन में अपनी रचनाओं को पाकर मैं बहुत खुश हूँ। हृदयपूर्वक आपका व दिग्विजय भाईसाहब का आभार !!!

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  3. प्रिय दीदी , चिड़िया की प्रतिनिधि रचनाओं को इस मंच पर देखकर बहुत ख़ुशी हो रही है | प्रिय मीना शर्मा द्वारा रचित रचनायें समस्त ब्लॉग जगत को भाती हैं | मीना जी कम लिखती हैं पर जो भी लिखती हैं वो बहुत प्रभावी और भावपूर्ण होता है | उनकी रचनाओं के भाव सराहना से परे हैं |अपनी कहूँ तो अपने ब्लॉग पर आने से पहले मीना जी के ब्लॉग से परिचित हूँ | उनके ब्लॉग की बेहद उम्दा रचना -- तब गुलमोहर खिलता है -- पहली रचना थी जो अविस्मरनीय है मेरे लिए और मेरे मन के बहुत करीब है |बहुत ही मृदुभाषिणी सरस्वतीसुता मीना जी एक सुयोग्य शिक्षिका हैं जो पढ़ाती मराठी हैं लेकिन लिखती हिंदी में हैं |अपने अत्यंत व्यस्त जीवन में साहित्य के प्रति उनकी लगन प्रेरक है | इस विशेष अवसर पर प्रिय मीना को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं| उनकी लेखनी निर्बाध चलती रहे -यही कामना करती हूँ |

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    1. आपके इन प्यारभरे शब्दों और सराहना के लिए क्या कहूँ प्रिय रेणु ! आभार कहना आपके स्नेह की तौहीन होगी। बहुत सारा स्नेह।

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  4. बहुत बढियां संकलन

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया भारतीजी।

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  5. क्षितिज के इस पार से उस पार तक तने इंद्रधनुष- सी बहुवर्णी आभा से दीप्त वर्णक्रम और छंद विधान में सजी मीनाजी की कविताओं की उड़ान भी सघन वृक्ष के बंद कोटर से लेकर निस्सीम अंतरिक्ष की अनंत गहराई तक है। तभी तो उनकी कल्पनायें 'चिड़िया' की चोंच में चहकती है और उसके पंखों में फुदकती हैं। मोहक रचनाओं की इस अदाकारा के लिए यही अरदास है कि माँ सरस्वती की कृपा इन पर ऐसे ही बनी रहे। अत्यंत आभार इस प्रस्तुति का।

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    1. आपके इस आशीष से अनुग्रहित हूँ। अभिभूत भी। हृदयपूर्वक आभार आपका आदरणीय विश्वमोहनजी।

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  6. बहुत सुन्दर प्रस्तुति

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    1. बहुत बहुत आभार आदरणीया कविताजी। इस अंक पर आपकी उपस्थिति मेरे लिए बहुत मायने रखती है।

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  7. मीना दी मेरी प्रिय कवयित्री हैं।
    दिल को क़लम बनाकर शब्दों में गूँथने की कला में सिद्धहस्त दी की सभी रचनाएँ मन छू जाती हैं।
    ज्यादा क्या कहें हम मेरी दिल से असीम शुभकामनाएं हैं आपको दी।
    स्नेहभरा प्रणाम स्वीकार करें।
    सादर।

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    1. प्यारी छोटी बहना, आपके मीठे शब्द मेरा दिल जीत लेते हैं। बहुत बहुत सारा स्नेह आपको।

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  8. मुखरित मौन सुशोभित और मुखरित है आज मीना जी की रचनाओं से...। कमाल का लेखन है मीना जी का । ब्लॉग जगत में आते ही आदरणीय यशोदा जी के निमंत्रण एवं मार्गदर्शन में हलचल प्रस्तुति के मंच पर मीना जी की रचना पढ़ी तो बस पढ़ती ही रह गयी उनके ब्लॉग से बाहर ही नहीं निकली तब तो प्रतिक्रिया लिखने में भी संकोच हो रहा था कुछ में लिखी भी ....निशब्द थी हर एक रचना पर...। और आज भी उनके अद्भुत लेखन की कायल हूँ। बहुत बहुत धन्यवाद यशोदा जी इस मंच में उनकी रचनाएं पढ़वाने के लिए एवं मीना जी को हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई। भगवान आप पर अपनी कृपा हमेशा बनाए रखें।

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    1. आपके इस स्नेह से अभिभूत हूँ सुधा जी !
      भाग्यवान हूँ कि आप जैसे पाठक मिले मेरी रचनाओं को.... आपके ये शब्द मेरे मनोबल को सदैव बढ़ाते रहेंगे। बहुत सारा स्नेह आपके लिए !

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