Saturday, August 14, 2021

730..राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे। सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने।।

सादर अभिवादन
स्वतंत्रता दिवस की पूर्वसंध्या पर
आप सभी को नमन
एक दिन माता पार्वती जी ने महादेव जी से पूछा---
'आप हरदम क्या जपते रहते हैं?'
उत्तर में महादेव जी ने कहा "श्रीविष्णुसहस्त्रनाम"
इस पर माता पार्वती जी ने कहा, आपके लिए तो सब सम्भव है 
पर कलियुग में साधारण मनुष्य के लिए तो 
इस का पाठ, जाप करना कठिन है, 
तो प्रभु मनुष्यों के कल्याण के लिए कोई 
एक नाम बताइये जो सहस्त्र नामों के ही बराबर हो..
इस पर महादेव जी ने कहा----
राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे।
सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने।।
अर्थात-राम नाम का जप ही सबसे शुभ है,
और सब प्रकार के आनंद का धाम है,
सहस्रनामों के समान है और
राम नाम सभी अभिलाषाओं की पूर्ति करता है...
पुनः महादेव जी राम जी से कहते हैं..

मुमूर्षोर्मणिकणर्याम तु अर्धोदकनिवासिनः।
अहं ददामि ते मन्त्रं तारकं ब्रह्मदायकम्।।
----अर्थात्----
मृत्यु के समय मणिकर्णिका घाट पर गंगाजी में
जिस मनुष्य शरीर गंगाजल में पड़ा रहता है,
उसको मैं आपका तारक मन्त्र देता हूँ,
और वो ब्रह्म में लीन हो जाता है.

अब देखिए आज की पाँच रचनाओं के शीर्षक

उपरोक्त लिंक से हट कर
आज सुबह-सुबह पढ़ी कि एक सप्ताह में
चीन पाकिस्तान का प्रशासन अपने हाथ में ले लेगा
यदि ये सही नहीं, तो गलत भी नहीं
हालात कुछ ऐसे ही हैं तालिबान और
चीन दोनों ओर से घिरा है पाक
अपनी ही कुल्हाड़ी में पैर मार लिया पाक

एक ख़ुशगवार सुबह की चाह में
सभी खड़े हैं गेरुआ नदी के किनारे,
नाभि पर्यन्त पानी में
डूबा हुआ देह कर चला है -
अन्तर्जलि यात्रा,


अब हम वो सब कुछ खोना चाहते हैं
ऐ मणिकर्णिका हम तो बस तेरे ही होना चाहते हैं




खाद, बीज
आकाश छू रहे
डीजल ने भी
पर खोले
दिल्ली
नहीं किसी की सुनती
कोई
कितना भी बोले
भूमि-पुत्र कब तक
अपनी
इस बदहाली पर रोयेगा
सब्र कभी तो


और अंत में
अभी न होगा मेरा अंत ..निराला जी
पुष्प-पुष्प से तंद्रालस लालसा खींच लूँगा मैं,
अपने नवजीवन का अमृत सहर्ष सींच दूँगा मैं,
......
मन की सोच है
सादर


2 comments:

  1. बहुत बहुत आभार आपका मैम मेरी रचना को शामिल करने के लिए

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