Sunday, August 8, 2021

724 ..सजना क्यूँ नाहिं आय सखी री सावन बीतौ जाय सखी री.......

सादर अभिवादन..
आज की दौड़ में शामिल हुई है
मुदिता दीदी..

एहसास अंतर्मन के
2007 से प्रारंभ, 94 फॉलोव्हर, पेज व्यू दिखी नहीं

ना शायरा हूँ ना लेखिका..
बस अंतर्मन के भावों को शब्द दे देती हूँ..
जीवन को जितना जाना समझा है
उसके आधार पर कुछ बाँटने की कोशिश की है..
और समझने की प्रक्रिया जारी है

आपका ब्लॉग कापी प्रोटेक्टेड है
टाईप की हूँ..
मात्राओं की त्रुटि सामान्य समझिएगा

रहे भटकाते तुम
सभी को ,
राह दिखाती मैं हूँ
नहीं हटूँगी पथ से अपने
मैं इसी जलने में
खुश हूँ मगन हूँ ..
बिन दीपक बाती अधूरी
बाती बिना दिया भी हारा
भीग दिए के प्रेम तेल में
रोशन करते ये जग सारा



आह!!
इंसानों की
फितरत में
क्यूँ इतना
स्वार्थ है !!
काश...
सीखे
बेज़ुबानों से ही
क्या परमार्थ है!!!



साँसों में तेरी सांसें हैं
धड़कन में धड़कन तेरी
नहीं है मुझमें ऐसा कुछ भी
जहाँ नहीं तुझको पाया
छाया हो तुम ,प्रेम की मेरे
मैं छाया की प्रतिछाया


कभी वो
बनता
बहता दरिया ,
बने कभी
एक शांत
सरोवर,
झील गहन
कभी
कूप रूप कभी
है असीम
कभी एक सागर..


तू झूठा ,
अफ़साने झूठे
सच है तेरा प्यार ,
लफ़्ज़ों में कब
हुआ है मुमकिन
रूहों का इज़हार .....


घिरि घिरि बदरा आवै नभ में
उठि आय हूक मोर जो नाचे
पायल चुप,सूना है अंगना
कोयल शोर मचाय सखी री
सजना क्यूँ नाहिं आय सखी री
सावन बीतौ जाय सखी री.......
.....
आज बस
कल के लिए और तलाशते है
सादर

17 comments:

  1. मुदिता जी की भावप्रबल लेखनी है | ब्लॉग तो पढ़ते ही रहे है | फिर से पढ़वाने के लिए आभार यशोदा जी और आप दोनों को लेखन के लिए अनेक शुभकामनायें !!

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    1. बहुत बहुत आभार अनुपम6 जी प्रोत्साहन देते रहने के लिए 🙏🙏🌷🌷

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  2. दो का दम, चाक चौबंद दमखम
    बहुत अच्छी प्रस्तुति

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    1. मुदिता जी की सभी रचनाएँ पढ़ी, बहुत अच्छी लगी
      हार्दिक शुभकामनाएं मुदिता जी को

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    2. बहुत शुक्रिया कविता जी समय देने और पसंद करने के लिए 🙏🙏🌷🌷

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  3. सुस्वागतम मुदिता जी !आपकी रचनाएँ पढ़ीं | बहुत उम्दा लेखन है आपका | यूँ अक्सर जाती रहती हूँ आपके ब्लॉग पर | जितनी आपकी रचनाएँ पठनीय हैं , उतनी ही दर्शनीय
    हैं आप || यूँ ही लिखती रहिये | मेरी शुभकामनाएं और बधाई |

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    1. आपकी टिप्पणी ने भावविभोर कर दिया रेणु जी ,धन्यवाद 🙏🙏🌷🌷

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  4. भेदविभेद करा देते हैं
    काल, नाम और ये काया
    छाया हो तुम ,प्रेम की मेरे
    मैं छाया की प्रतिछाया

    युगों युगों से जीते आये
    जिस पावन 'अनाम' को हम
    समय की सीमा लांघ लांघ वो
    फिर फिर जीवन बन आया
    छाया हो तुम ,प्रेम की मेरे
    मैं छाया की प्रतिछाया//////
    👌👌👌👌🙏🙏🙏🌷💐💐

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  5. एक बहुत अच्छे ब्लॉग से परिचय कराने हेतु आदरणीया यशोदा दीदी का आभार।
    मुदिता जी के ब्लॉग से ली गई सारी रचनाएँ पढ़ीं। बेहतरीन लेखन है आपका। आपके दूसरे ब्लॉग कहानियाँ पर भी नजर डाल आई हूँ। कहानियाँ मेरे पसंद की हैं, बल्कि लघु उपन्यास हैं। बुकमार्क कर ली हैं। जल्दी ही उन्हें पढूँगी। बहुत सारी शुभकामनाएँ व बधाई।

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    1. बहुत बहुत आभार मीना जी 🙏🙏सनरः बनाये रखिये ,कहानियों पर प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहेगा 🌷🌷🙏🙏

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  6. बहुत सुंदर सराहनीय अंक, मुदिता जी की रचनाओं से परिचय कराने के लिए यशोदा दीदी आपका हार्दिक धन्यवाद। मुदिताजी को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं एवम बधाई 💐💐

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद जिज्ञासा जी 🙏🙏🌷🌷

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  7. सभी पाठक वृन्द को मुदिता की तरफ से धन्यवाद प्रेषित करती हूँ । वो आज कल अन्यत्र व्यस्त है तो शायद ये लिंक न देखा हो । ये लिंक भी उसको भेज दूँगी ।
    दरअसल मुदिता मेरी छोटी बहन है । सबने उसके लेखन की सराहना की सबका हृदय से आभार । यशोदा उसके ब्लॉग को लेने के लिए शुक्रिया ।

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    1. धन्यवाद दीदी मुझे लिंक भेजने के लिए वरना इतने सारे स्नेह से वंचित रह जाती मैं 😊 यशोदा जी भी बहुत आभार 🙏🙏🌷🌷

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  8. प्रिय यशोदा जी मेरी रचनाओं को चुनने और उनके अंशों को लिखने की मेहनत करने में आपका स्नेह दृष्टिगोचर है ..बहुत बहुत आभार इस प्रेम के लिए ..मेरी खुद की कुछ बहुत ही पसंदीदा रचनाएं चुनी हैं आपने धन्यवाद 🙏🙏🙏🌷🌷🌷

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  9. मुदिता जी की प्रमुदित कर देने वाली रचानाओं से भरपूर इस अंक के लिए आभार! सही में, पवन दुआर खटकाय सखी रे!

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