सादर अभिवादन
नए अंक का आगाज़ एक नया अंदाज ..
लगभग नकार दिए गए....नहीं कह सकते ऐसा
प्रयोग यदि सभी एक बार में सफल हो जाते..तो
मंगल , शनि , चाँद बरसों पहले पृथ्वी पर आ चुका होता
या इन जगहों पर हम लोग क्षण मात्र में आ-जा सकते
सो यह भी एक प्रयोग ही है, होगा और शत-प्रतिशत सफल होगा
उतना ही, जितनी कि आज शाम अंधियारी होगी
और कल का सूरज तीखा होगा
"दाद" लेने की "खुजली" बनाम ज़ालिम लोशन है ना !!! ... :
अक़्सर हम जैसे नौसिखिए लोग, दिग्गज़ों से सुनते-पढ़ते हैं, कि तथाकथित कुछ अलग-सी, "सर्वाधिकार सुरक्षित" या "Copyright Reserve" वाली विशिष्ट, 'ब्रांडेड', ब्लॉग की दुनिया में एक दूसरे की पीठ खुजलाने जैसी कोई प्रथा या रीति-रिवाज़ भी है .. शायद ... अब ये कोई लोकोक्ति हो या मुहावरा, जो भी हो, पर वैसे भी पूरे बदन की खुजली को तो हम भी खुद ही खुजा लेते हैं, सिवाय अपनी पीठ के। वहाँ की खुजली के लिए धर्मपत्नी की मदद यदाकदा जरूर लेनी पड़ती है। पर आज कल तो एक खुजाने वाली लम्बी कलम जैसी "खुजली स्टिक" भी स्थानीय बाजार में या 'ऑनलाइन' पर भी उपलब्ध हैं, जिसे हम खरीद लाये हैं। अब तो वो भी निर्भरता खत्म। अपने माननीय प्रधानमंत्री जी भी तो बार-बार कहते हैं, कि स्वावलंबी बनो, आत्मनिर्भर बनो .. तो हम भी बनने की कोशिश भर कर रहे हैं .. बस यूँ ही ...
ऐसी बातों की चर्चा, जब भी, जहाँ कहीं भी, होती है तो ... ऐसे में सन् 1929 ईस्वी में स्थापित इंदौर की 'ओरिएंटल केमिकल वर्क्स' नामक कम्पनी की एक आयुर्वेदिक उत्पाद - "ज़ालिम लोशन" के विज्ञापन के एक संवाद अनायास याद हो आते है, कि "क्या शरमा रहा है ? दाद, खाज, खुजली है। सबको होती है। हमें भी होती है।" मतलब ये है, कि "दाद" लेने की "खुजली" सभी को होती है। पर ऐसे में हमें खुजलाना क्यों भला ! अपने पास "खुज़ली स्टिक" अगर ना भी हो तो कोई चिन्ता की बात नहीं है साहिब !! .. वो भी ज़ालिम लोशन के रहते !! .. अरे बाबा! .. बाज़ार में या 'ऑनलाइन' पर भी तो साहिब .. ज़ालिम लोशन है ना !!! .. बस यूँ ही .
अब देखिए आज की पाँच रचनाओं के शीर्षक
लौट गए उसी ईशान कोणीय देश में, सभी मेघ दल,
बात दिल की पन्नो पे उतारिये ना
पढेगें अपने तो बवाल हो जायेगा
लोटे में पानी लाकर पौधे को अर्पित कर दिया...
उसके चरण छूकर बोला हम तुम्हें वृक्ष अवश्य
बनाएंगे क्योंकि तुम हमारे लिए बहुत जरुरी हो...।
तुम हमारा जीवन हो...।
हर तरफ़ खौफ़ की आहट है
दिल में मायूसी और नजरों में घबराहट है
सराहनीय अंक।
ReplyDeleteसभी रचनाकारों को बधाई।
बहुत सुंदर अंक।
ReplyDeleteजी ! नमन संग आभार आपका ... पुनः मेरी बतकही को इस मंच तक लाने के लिए .. बस यूँ ही ...
ReplyDeleteअक़्सर .. कई नाकामयाबियों की ईंटों से बनी नींव पर ही कामयाबी के कँगूरे टिकते हैं .. इसलिए हर नया प्रयोग करना ही धर्म है .. शायद ...
स्वतंत्रता दिवस की सभी को अग्रिम शुभकामनाएं
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