दैनिक सांध्य अंक में
आपसभी का हार्दिक अभिनंदन।
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आपसभी का हार्दिक अभिनंदन।
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प्रेम की छटपटाहट महसूसने से
फूटी पहली अनगढ़,मासूम,कोमल
कविता की यात्रा
आदर्श, उसूलों, बड़े-बड़े सपनों,
कमज़ोरों के आँसू,दर्द और हक़ की
हिमायत करते नारों में
टूटे सपनों की किर्चियाँ चुनती
लहुलूहान उँगलियों के लिए
मरहम की तलाश में
खारे स्याही में डुबकी लगाती
क़लम की जीभ
का स्वाद बदलता रहता है
शायद...
किसी विशेष पंथ,वाद,दल का
प्रचारक बनने तक।
#श्वेता सिन्हा
आइये आज की रचनाएं पढ़े।
धरोहर-सी आज भी
यादों के कनस्तर में ,
जो फ़ुर्सत में ..
जब कभी भी
सोचों की आँच पर
नयनों से विरह वाले
रिसते तेल में
लगा कर डुबकी
सीझते हैं मानो
तिलमिलाते हुए।
यादों के कनस्तर में ,
जो फ़ुर्सत में ..
जब कभी भी
सोचों की आँच पर
नयनों से विरह वाले
रिसते तेल में
लगा कर डुबकी
सीझते हैं मानो
तिलमिलाते हुए।
चपल चंचल अल्हड़ बूँदें
पलकों पर सपना बन उतरी
कर्म रेख का झूल झूलना
चक्षु कोर से फिसल झरी
अजब खेल है विधना का भी
लगन सीप की स्वाति पुकारे।।
पलकों पर सपना बन उतरी
कर्म रेख का झूल झूलना
चक्षु कोर से फिसल झरी
अजब खेल है विधना का भी
लगन सीप की स्वाति पुकारे।।
बन बैठ गई तुम्हारे भीतर
ऊर्जावान हूँ गर्भ के अन्दर
धीरे-धीरे बह रही हूँ
रच रही हूँ
बैसाखी तो हो नही
जो पास में रख लू ।
इतना ही काफी है
जो तुमने खड़ा कर दिया ___
दौड़ भले न पाऊं
तुम्हारे बगैर ,
मगर चल तो लूंगी अब
जो पास में रख लू ।
इतना ही काफी है
जो तुमने खड़ा कर दिया ___
दौड़ भले न पाऊं
तुम्हारे बगैर ,
मगर चल तो लूंगी अब
राह बनाऊंगा पहाड़ काट,
लिया तब तुमने ठान।
अब किसी की प्रियतमा,
मरे न इलाज से बंचित।
अपार शक्ति हृदय में,
कर लिया तुमने संचित।
बाईस वर्ष परिश्रम कर,
अचानक ही
मिल गयीं थीं
पुरानी उदासियाँ
पूछा उन्होंने
कैसी हो ? क्या हाल है ?
.....
कल की कल
-श्वेता
सादर
कल की कल
-श्वेता
सादर
आदर्श, उसूलों, बड़े-बड़े सपनों,
ReplyDeleteकमज़ोरों के आँसू,दर्द और हक़ की
हिमायत करते नारों में
टूटे सपनों की किर्चियाँ चुनती
लहुलूहान उँगलियों पर
मरहम
खारे स्याही में डुबकी लगाकर
क़लम की जीभ
का स्वाद बदलता रहता है
बेहतरीन..
अग्रिम जानदार पंक्तियां
आभार..
सादर..
प्रिय श्वेता जी, आज के सुंदर संकलन की शानदार प्रस्तुति के लिए हार्दिक शुभकामनाएं । मेरी रचना शामिल करने के लिए आपका हृदय से आभार । सादर नमन ।
ReplyDeleteशानदार संकलन ।
ReplyDeleteदैनिक सांध्य अंक का प्रारंभ बहुत शानदार पंक्तियों से किया । श्वेता इसके लिए बधाई । मुझे शामिल करने के लिए शुक्रिया ।
बहुत ही सुंदर संकलन।
ReplyDeleteमुझे स्थान देने हेतु बहुत बहुत शुक्रिया।
सादर
बहुत बढ़िया। मेरी रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार।
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