सादर अभिवादन
अब ऐसा लगता है
बच्चे एक साल और रुक गए
घर में जितना पढ़ा सकें पढ़ा लें
पर स्कूल न भेजें...यही सलाह सब दे रहे हैं
आइए रचनाएँ देखें....
छींट-छींट चंदनिया चंदा
भगजोगनी संग इतराये रे,
रेशमी आँचल डुला-डुला
जोगिया टेसू मुस्काये रे।
दह-दह,दह दहके जंगल
दावानल का शोर मचा,
ताल बावड़ी लहक रहे
नभ वितान का कोर सजा,
भगजोगनी संग इतराये रे,
रेशमी आँचल डुला-डुला
जोगिया टेसू मुस्काये रे।
दह-दह,दह दहके जंगल
दावानल का शोर मचा,
ताल बावड़ी लहक रहे
नभ वितान का कोर सजा,
है अंधेरे का तोहफ़ा,
तो दिल कादीया जला के देखेंगे,
इकचश्म ए शबनम मिलजाए,
रूह में छुपाके देखेंगे,
हरएक मोड़ पर खड़े हैं,
कई शुब्हचेहरों की मजलिस,
अंजामए दोस्ती जो भी हो,
फिर हाथ मिला के देखेंगे,
दोनों हिरनों के पास ही एक गड्ढा था
जिसमें थोड़ा सा पानी था। गुरु ने दोनों हिरनों को
देखा और सोच में पड़ गए।..
व्याधि कोई लगती नहीं, न ही लगा है कोई बाण,
पानी भी है पास में फिर किस विधि निकले प्राण?
पानी थोड़ा हित घना, लगे प्रेम के बाण,
तू पी- तू पी कहे मरे, बस इस विधि निकले प्राण!
याद उसको उसी रास्ते की कथा
जिसमें मिलती रही है व्यथा ही व्यथा
तेज़ रफ़्तार थी ज़िन्दगी की बहुत
काम तो थे कई किंतु अवसर न था
आज ये पूर्णमासी का चांद भी
कितनी तेजी से चमक रहा है
जैसे कि वो भी खुश हो रहा है
हमारे मिलन का साक्षी बनकर
अजी सुनो देखो न!
आज ये पूर्णमासी का चांद भी
कितनी अटखेलियां कर रहा है
कभी बादलों के पीछे छिप जा रहा है
और झांक झांक के हमें निहारता है
अब तो आ जाओ
युग युगांतर से
तुम्हारा इंतज़ार करते करते
तुम्हें ढूँढ़ते ढूँढते न जाने
कितनी सीढ़ियाँ चढ़ कर
आ पहुँची थी मैं फलक तक
और बुक कर लिया था
...
बस
सादर
बस
सादर
सभी रचनाकारों को बहुत बधाई मेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत बहुत आभार आदरणीया दी
ReplyDeleteबेहतरीन सूत्रों से सजी अति सुंदर प्रस्तुति दी।
ReplyDeleteमेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत आभार।
सादर।
प्रिय यशोदा अग्रवाल जी,
ReplyDeleteआपके श्रम का आईना है ये संकलन... साधुवाद 🙏
मैं आपके प्रति आभारी हूं कि आपने मेरी ग़ज़ल को भी इसमें शामिल किया।
हार्दिक आभार आपका 🙏
शुभकामनाओं सहित,
डॉ. वर्षा सिंह
बढ़िया रचनाओं से सुसज्जित यह अंक निश्चित ही प्रसंशनीय है। इस प्रयास के लिए आदरणीया यशोदा जी का हार्दिक आभार। मुझे भी शामिल करने के लिए अतिरिक्त आभार। आगामी अंक के लिए अग्रिम शुभकामनायें । सादर।
ReplyDeleteबेहतरीन सूत्रों से सजी सुंदर प्रस्तुति,यशोदा दी।
ReplyDeleteलाजवाब रचनाओं से सजा सुन्दर संकलन एवं प्रस्तुति के लिए हार्दिक शुभकामनायें..सादर..
ReplyDeleteबहुत खुब बहुत ही सुंदर प्रस्तुत। आज ये पूर्णमासी का चांद भी
ReplyDeleteकितनी तेजी से चमक रहा है
जैसे कि वो भी खुश हो रहा है
हमारे मिलन का साक्षी बनकर
अजी सुनो देखो न!
आज ये पूर्णमासी का चांद भी
कितनी अटखेलियां कर रहा है
कभी बादलों के पीछे छिप जा रहा है
और झांक झांक के हमें निहारता।।