आज वैलेंटाइन वीक का पांचवां दिन है.
एक दूसरे को गिफ्ट्स और चॉकलेट्स देने का सिलसिला शुरू होता है।
फिर 11 फरवरी को प्रोमिस डे मनाया जाता है।
ये दिन बड़ा महत्व रखता है क्योंकि
इस दिन हम अपने पार्टनर से वादा करते हैं,
कि चाहे कुछ भी हो जाए
हम हमेशा उनके साथ रहेंगे और
उनके प्रति वफादार रहेंगे।
इस वादे को ताउम्र निभाएंगे।
अब चलें रचनाओँ का ओर.....
अनघ सानिध्य में अनुभूतियों के
तृप्त कामनाओं के दिव्य वीथियों के,
जीवन-मरण के प्रश्न सारे भूलकर
अमर्त्य आत्मा के बाहुपाश में झूलकर,
वीतरागी 'पी' के अधिकार में हूँ।
मैं प्रकृति के प्यार में हूँ....।
चमन की हर शाख पर घात लगाए बैठेहैं उल्लू
वो हौसलों के तीर से चमन बचाना चाहता है।।
तुम लाख डुबोना चाहो कश्ती उसकी
तूफ़ानों का आदी तूफानों से खेलना जनताहै।।
आँखों के छलकते आंसूं इंसानियत की जुंबा है
सतकर्म से इन्सानियत का संदेश देना चाहता है।
मन पुलका है ये दृश्य देख
आनंद उमड़ा है रेख रेख।
हे पीत वरण पाखी सुन रे
तू बैठा है जिस डाली पे
वो नेह वात में ड़ोल रही
वीणा सी झंकृत बोल रही
तू मधु सुरों की सरगम गा
छल, कपट,और लोभ का यदि संवरण हो जाएगा
स्वर्ग सा इस देश का वातावरण हो जाएगा
प्रकृति का सौंदर्य कम कर आपने सोचा कभी
बाँध से नदियों के जल का अपहरण हो जाएगा
पारदर्शी द्रव्य ...अग्निशिखा
स्वर्ग सा इस देश का वातावरण हो जाएगा
प्रकृति का सौंदर्य कम कर आपने सोचा कभी
बाँध से नदियों के जल का अपहरण हो जाएगा
पारदर्शी द्रव्य ...अग्निशिखा
लेन देन की दुनिया में, कुछ
भी निःशर्त नहीं होता,
हर एक चमकदार
प्याले का
द्रव्य
अमृत नहीं होता, इस चौक
से हो कर गुज़रते हैं
....
बस
आज रात दीदी आ जाएगी
कल शायद वे आएँ
सादर
बस
आज रात दीदी आ जाएगी
कल शायद वे आएँ
सादर
बढ़िया अंक..
ReplyDeleteआभार..
सादर..
सभी रचनाएँ बहुत सुन्दर हैं,आभार हमारी रचना को शामिल करने के लिएआपका।
ReplyDeleteशानदार प्रस्तुति प्रिय दिव्या जी 🙏
ReplyDeleteसुरभित रचनाओं का सुंदर गुलदान।
ReplyDeleteमेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार दिव्यता जी।
सभी रचनाकारों को बधाई।
सस्नेह।
बहुत बहुत स्नेह प्रिय दिबू।
ReplyDeleteशुक्रिया।