सादर अभिवादन
शान्त सा रविवार
कोलाहल का नाम नहीं
कैसे हो कोलाहल
कोलाहल करने वाले
गायब हैं....
रचनाएँ कुछ यूँ है....
गुलाब की पंखुड़ियों पर
गिरी ओंस की बूंदें
प्रमाण होती हैं
किसानों के खेतों में गिरे पसीनों की
उसने मिट्टी में सहेजें होते हैं
कब औ किसका हाथ ये पकड़ें औ उड़ लें
आज तक मेरी समझ न राज़ आया
इस लिए चल चल के उड़ना सीखना
वरना गिर के कितनों ने खुद को गंवाया
हर उस कोंपल को
जो बन सकते हैं नये वृक्ष
उन्हें उपेक्षितकर
कूड़ों से पाटकर
भ्रम फैलाकर कि
इसमें खिलेंगे
विषैले फल
नष्ट कर दी गयी
संभावनाएं।
जो बन सकते हैं नये वृक्ष
उन्हें उपेक्षितकर
कूड़ों से पाटकर
भ्रम फैलाकर कि
इसमें खिलेंगे
विषैले फल
नष्ट कर दी गयी
संभावनाएं।
उजली भोर गाती प्रभाती
गुनगुनी धूप सी मृदु बोली
तारक दल से मंजुल चितवन
शाँत चित्त मन्नत की मोली
संवेदन अंतस तक पैंठा
मानस कोमल सुत का मेरे ।।
काश, ख्वाहिशों के, खुले पर न होते,
इतने खाली, ये शहर न होते!
गूंज बनकर, न चीख उठता, ये आकाश,
वो, एकान्त में, है अशान्त कितना!
मेरा आकाश!
कुछ हो तो जरूर रहा है ! कोई जरुरी नहीं कि मैं सही ही होऊँ !
मैं गलत भी हो सकता हूँ ! पर पता नहीं क्यों मुझे ऐसा लग रहा है कि
जो दिख रहा है वैसा हो नहीं रहा और जो हो रहा है वह दिख नहीं रहा !
यवनिका के पीछे बहुत ही सोच-समझ कर, समझदारी और चतुराई से
समस्या का आकलन कर उससे पार पाने की तरकीब निकाली जा रही है।
जिन्होंने वर्षों-वर्ष से चली आ रही अड़चनों को एक झटके में दूर
कर दिया हो वे क्या देश की अस्मिता के साथ खिलवाड़ करने
वालों की हरकतों पर हाथ पर हाथ धरे बैठे होंगे !
संदर्भः किसान आन्दोलन
रोटी ....ज़खीरा से
रोटी नभ में पर नभचर नही
थलचर, नभचर बन
गिद्ध के माफ़िक़ दिख रहे हैं
मंडरा भी रहे पैनी निग़ाह लिए
परन्तु गिद्ध नही
गिद्ध तो मृतकों को नोचते हैं
ये तो मरणशैय्या पर लिटा देते हैं
रोटी ....ज़खीरा से
रोटी नभ में पर नभचर नही
थलचर, नभचर बन
गिद्ध के माफ़िक़ दिख रहे हैं
मंडरा भी रहे पैनी निग़ाह लिए
परन्तु गिद्ध नही
गिद्ध तो मृतकों को नोचते हैं
ये तो मरणशैय्या पर लिटा देते हैं
....
बस
सादर..
बस
सादर..
शुभ संध्या ...हार्दिक आभार। इस पटल के माध्यम से समस्त गुणीजनों को नमन।
ReplyDeleteबेहतरीन..
ReplyDeleteआभार..
यशोदा जी
ReplyDeleteसम्मिलित करने हेतु हार्दिक आभार
रविवार को प्रकृति की न कोलाहल हिमस्खलन कर
ReplyDeleteउम्दा लिंक्स चयन
साधुवाद
आदरणीय यशोदा दी, नमस्कार ! रोचक तथा सुन्दर लिंक्स के संकलन संयोजन तथा प्रस्तुतिकरण के लिए आपको हार्दिक शुभकामनायें..मेरी रचना को शामिल के लिए आभार..
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय दी मेरे नवगीत को मंच प्रदान करने हेतु।
ReplyDeleteसादर